
जाति और समुदाय से परे हर किसी को बेहतर शिक्षा का हकदार है. परिवार की वित्तीय कठिनाइयों को बाधा नहीं बनने दिया जा सकता. गुमला के डिप्टी कमिश्नर रिपोर्ट का संज्ञान लें, जरूरी कार्रवाई करें और उसकी जानकारी दें.''
यह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का 14 फरवरी का ट्वीट है, जिसके साथ उन्होंने एक अखबार की रिपोर्ट को टैग किया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे राज्य स्तर की स्कूल टॉपर अमीषा आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई जारी रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं. पोस्ट का त्वरित गति से प्रभाव पड़ा. तीन दिन में गुमला के डिप्टी कमिश्नर शशि रंजन अमीषा के अभिभावकों से मिले और उन्हें मदद का भरोसा दिया. रंजन ने इंडिया टुडे को बताया, ''हम सभी तरह की व्यवस्थाएं कर रहे हैं, ताकि रांची में पढऩे वाली अमीषा को पढ़ाई में कोई बाधा न आए.''
गुर्दा खराब होने की समस्या से जूझ रही एक लड़की के लिए एयर एंबुलेंस का आदेश देने से लेकर एक बेघर महिला को उसके बेटे से मिलाने तक, सेना के जवान की विधवा को राहत पहुंचाने से लेकर अनुसूचित जनजाति की जमीन अस्पताल को देने के संबंध में जांच के आदेश देने तक, सोरेन ने ट्विटर को शासन का औजार बना दिया है. 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से उन्होंने अधिकारियों को सतर्क रखते हुए शासन से संबंधित 250 से ज्यादा ट्वीट किए हैं. लोग अब मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल नियमित रूप से शिकायतों को आगे बढ़ाने के लिए टैग कर रहे हैं. एक बार जब सोरेन शिकायतों का संज्ञान ले लेते हैं तो उनका कार्यालय आगे की कार्रवाई पर नजर रखता है. मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि सोरेन के ट्विटर हैंडल का प्रबंधन वही टीम करती है जो विधानसभा चुनाव के दौरान उनका सोशल मीडिया अभियान चलाती थी.
मुख्यमंत्री के रूप में पहले कार्यकाल (जुलाई, 2013 से दिसंबर, 2014) में कुछ हद तक उनकी छवि एक जिद्दी नेता की बन गई थी, जब उन्होंने बहुत कमजोर बहुमत के बावजूद तीन मंत्रियों को हटा दिया था. दूसरी पारी में सोरेन खुद को एक अनुभवी प्रशासक के रूप में पेश करते हुए व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाते दिख रहे हैं.
हालांकि सोरेन ने अपने कार्यकाल की शुरुआत उदारता से की और चुनाव प्रचार के दौरान पूर्ववर्ती रघुवर दास के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस ले ली, लेकिन वे उन अधिकारियों के प्रति निर्मम हैं, जिन्होंने उनके खिलाफ मामले दर्ज किए थे. जैसे उन्होंने 14 फरवरी को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता के निलंबन का आदेश दिया. गुप्ता पर 2016 के राज्यसभा चुनाव में पद के दुरुपयोग का आरोप है.
जब चुनाव आयोग ने जून 2017 में गुप्ता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया और बाद में प्राथमिकी दर्ज की गई तो दास सरकार ने मामले का फॉलोअप नहीं लिया. नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ आइपीएस कहते हैं, ''सोरेन पद संभालने के तुरंत बाद गुप्ता को निलंबित कर सकते थे पर उन्होंने ऐसा करने के लिए 45 से ज्यादा दिनों का समय लिया.''
नौकशाहों को अंदेशा है कि सोरेन सरकार चरमपंथी आदिवासी कार्यकर्ताओं के प्रति नरमी बरत सकती है. सोरेन मंत्रीमंडल की पहली बैठक, जिसमें पत्थलगड़ी आंदोलन के नेताओं के खिलाफ राजद्रोह के मामले को वापस लेने का फैसला लिया गया था, ने पहली बार इस अंदेशे को हवा दी थी. हालांकि उन्होंने जनवरी में पश्चिम सिंहभूम में पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान मारे गए सात ग्रामीणों के घर जाकर संतुलन बनाने की कोशिश की और चेतावनी दी कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
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