
बीजेपी शासित राज्य झारखंड में भूख से हुई दो मौतों को लेकर राजनीति गर्माई हुई है. विपक्ष इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर हल्ला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास का कहना है कि दोनों घटनाएं दुखद हैं लेकिन ये मौतें भूख से नहीं हुई हैं. मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि लोगों को गुमराह कर झारखंड की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है. आखिर क्या वजह है झारखंड में इन मौतों की? क्या इन मौतों की वजह गरीबों के राशन कार्ड रद्द होना है जिसकी वजह से उन्हें सस्ते अनाज से वंचित होना पड़ा. ‘आज तक’ ने सच्चाई की तह तक जाने के लिए झारखंड के कई इलाकों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) का रियलिटी चेक किया.
‘आज तक’की टीम ने इन सवालों के जवाब जानने की कोशिश की. क्या अलग अलग इलाकों में ग्रामीण लोगों के पास राशन कार्ड उपलब्ध हैं या नहीं? और अगर राशन कार्ड है तो उन्हें राशन मिल रहा है या नहीं? साथ ही उनके राशन कार्ड की आधार कार्ड से लिंक होने की क्या स्थिति है?
बता दें कि कई इलाकों से ऐसे आरोप सामने आए हैं कि जहां राशन कार्ड आधार से लिंक नहीं है अर्थात जिन ग्रामीणों के पास आधार कार्ड नहीं है उन्हें राशन विक्रेता राशन देने से मना कर रहे हैं.
राजधानी रांची के पास भी बुरा हाल
‘आज तक’ टीम ने सच की तलाश में झारखंड की राजधानी रांची के ही आदिवासी बहुल क्यूंझारी गांव का रुख किया. यहां रहने वाले अधिकतर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं. इनमें से कई के पास राशन कार्ड नहीं हैं. कुछ के पास कार्ड तो है लेकिन बीते दो महीने से राशन की दुकान से अनाज नहीं मिल रहा है. गांव के एक युवक पाहना एक्का के मुताबिक उसकी मां की मौत के बाद उसे राशन नहीं मिल रहा. राशन विक्रेता का कहना है कि फिंगर प्रिंट नहीं मिल रहा, इसलिए पहले मां को लेकर आओ तभी राशन मिलेगा. एक्का का कहना है कि ऐसे हालात में उसे समझ नहीं आ रहा कि क्या करे? क्या खाकर पेट भरे? इसी गांव की महिला शुकरो का दर्द है कि राशन कार्ड तो है लेकिन वो आधार से लिंक नहीं है, इसलिए उसे अनाज नहीं मिल पा रहा.
धनबाद में भी PDS बीमार
धनबाद में किए रियलिटी चेक में पाया गया कि वार्ड नंबर 9 में रहने वाले कुछ बेहद गरीब परिवार के लोगों को राशन कार्ड से राशन नहीं मिल पा रहा.
- यहां 22 हजार लोगों की आबादी में करीब 35 गरीब परिवार ऐसे निकले जिनका राशनकार्डधारियों में नाम ही नहीं है.
- करीब 64 गरीब परिवार ऐसे हैं जिनके राशन कार्ड तो बने हैं लेकिन ये जब भी राशन विक्रेता के पास जाते हैं तो वो राशन कार्डज को आधार से लिंक करने के लिए कहता है. इनमें से अधिकतर को नहीं पता कि राशनकार्ड आधार से लिंक होता क्या है.
इसी इलाके में वाष्णि देवी नाम की एक महिला ऐसी मिलीं जिन्होंने चार दिन से कुछ नहीं खाया था. वाष्णि देवी के बीमार पड़ने के बाद पड़ोस के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर अस्पताल मे भर्ती कराया.
रामगढ़ में कार्ड ही बनें गलत
रामगढ़ के मांडू ब्लॉक में अभी तक 38,903 राशनकार्ड बने हैं. इनमें गुलाबी कार्ड (बीपीएल परिवार) 25,528 और पीले कार्ड (अंत्योदय परिवार) 4,808 हैं. वहीं सफेद कार्ड की संख्या 8567 है. सफेद कार्डधारियों को खाद्य सुरक्षा के दायरे से बाहर माना जाता है. इस कार्ड पर खाद्यान्न नहीं मिलती सिर्फ केरोसिन मुहैया कराया जाता है.
मांडू में कुछ परिवारों का कहना है कि बीपीएल में होने के बावजूद उन्हें गलत सफेद कार्ड दे दिया गया है जिसकी वजह से उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा.
सिमडेगा में 2000 राशन कार्ड रद्द
सिमडेगा में आधार से नहीं जुड़ पाने की वजह से 2000 कार्ड रद्द कर दिए गए. इस वजह से इन परिवारों को सस्ता राशन नहीं मिल पा रहा. सरकार की मंशा आधार से राशन कार्डों को जोड़कर राशन की कालाबाजारी रोकने की है लेकिन राशन कार्ड रद्द होने से ऐसे कई लोगों को खाने के लाले पड़ गए हैं जिन्हें सस्ते खाद्यान्न की बहुत जरूरत है.
विपक्ष का सरकार पर हल्ला बोल
ये तो रहा रियलिटी चेक. लेकिन इस मसले पर झारखंड में राजनीतिक माहौल भी गर्माया हुआ है. तमाम विपक्षी ने सोमवार को एकजुटता का परिचय देते हुए भूख से मौतों के मसले पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई. कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा कि एक मासूम हफ्ते भर तक भूख से तड़प कर मर गई और सरकार इस पर लीपापोती करने में लगी है. IVM नेता बाबू लाल मरांडी के मुताबिक सरकार दावा करती है कि सभी योजनाएं सही ढंग से चल रही हैं, तो फिर ये भूख से मौतें क्यों हो रही हैं. झरिया और सिमडेगा में देखा गया है कि लोग एक एक हफ्ते तक पानी पीकर रह रहे हैं.
झारखंड की छवि खराब कर रहा है विपक्ष: सीएम
विपक्ष के आरोपों को झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास सिरे से खारिज कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के मुताबिक विपक्ष झारखंड की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है. मुख्यमंत्री ने दोनों मौत की घटनाओं को दुखद बताते हुए कहा कि उपायुक्त को जांच के लिए घटनास्थल पर भेजा गया. रघुवर दास के मुताबिक पीडीएस का लाभ कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे इसलिए राशनकार्ड को आधार से लिंक किया गया है. 99 फीसदी कार्ड लिंक किए जा चुके हैं. 225 करोड़ की बचत हुई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सच है कि 11 लाख कार्ड रद्द हुए लेकिन 9 लाख नए राशन कार्ड बने भी हैं. जहां राशन कार्ड को लेकर गलती की बात सामने आई हैं वहां अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया है. झरिया में हुई मौत को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि वह गरीब व्यक्ति एक महीने से बीमार था.