
झारखंड में जब से सरकार ने शराब के ठेकों को बंद कर खुद से शराब बेचने का फैसला लिया है, तब से शराब की चाहत रखने वालों की तकलीफ बढ़ गई है. दरअसल सरकार ने जो दुकानें खोली हैं, वो कम हैं. इसकी वजह से ठंड के मौसम में शराब लेने के लिए लोगों को लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है.
ऐसे में झारखंड के कुछ माननीयों की भी तकलीफ में इजाफा हो गया है. क्योंकि उन्हें लाइन में लगना अच्छा नहीं लगता. ऐसे में विधायकों को लगता है कि विधानसभा परिसर में ही अगर एक शराब की दुकान खुल जाए तो उन्हें लाइन में लगने की झंझट से छुटकारा मिल जाएगा.
शीतकालीन सत्र में अध्यक्ष से करेंगे मांग
विधायकों ने फैसला किया है कि आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा अध्यक्ष के सामने यह मांग रखी जाएगी. गौरतलब है कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र 12 दिसंबर से शुरू होगा. जिसमें विधायक अपनी इस मांग से विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव समेत सरकार के मुखिया रघुवर दास को अवगत कराएंगे. माननीयों का कहना है कि आखिरकार विधायक कैसे भीड़भाड़ भरी शराब दुकानों में जाएंगे. उनका कहना है कि जब सरकार को ही शराब बेचनी है तो इस मांग को पूरा करने में परेशानी क्या है.
झारखंड मुक्ति मोर्चा विधायक दल के सचेतक कुणाल षाडंगी ने भी इस राय का समर्थन किया. वहीं नेता विपक्ष हेमंत सोरेन का कहना है कि विधायकों ने उनके सामने परेशानी उठाई है. वे चाहते हैं कि यह मामला विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान उठाया जाए.
सरकारी दुकानों की संख्या है कम
जब से सरकार ने शराब बचने का काम अपने हाथों में लिया है, उसके बाद से ही सूबे में शराब दुकानों की संख्या में काफी कमी आई है. दरअसल सरकार सूबे में शराब की बिक्री पर नियंत्रण करना चाहती है. इसके तहत उसने जहां दुकानों की संख्या घटाई है वहीं शराब बेचने के समय को भी घटाया है. इसके तहत अब रात दस बजे के बाद शराब नहीं बेची जा सकती.