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झारखंड में अफीम के बदले की जा रही नकली नोटों की तस्करी

झारखंड के अफीम स्मगलर अब नकली नोट की तस्करी कर रहे हैं. साथ ही इन नकली नोटों को झारखंड के ग्रामीण इलाकों में चलाया जा रहा है. दिल्ली की इंटेलिजेंस टीम ने इसका खुलासा किया है.

झारखंड में अफीम और नकली नोट का धंधा! झारखंड में अफीम और नकली नोट का धंधा!
धरमबीर सिन्हा
  • रांची ,
  • 15 जून 2017,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

झारखंड के अफीम स्मगलर अब नकली नोट की तस्करी कर रहे हैं. साथ ही इन नकली नोटों को झारखंड के ग्रामीण इलाकों में चलाया जा रहा है. दिल्ली की इंटेलिजेंस टीम ने इसका खुलासा किया है.

इंटेलिजेंस टीम को सूचना मिली है कि झारखंड के अंतरराज्यीय अफीम गिरोह का संपर्क मालदा के नकली नोट कारोबारियों से भी हैं. ये कारोबारी झारखंड में नोट खपाने के लिए अफीम के बदले नकली करेंसी का लेन-देन करते हैं. इंटेलिजेंस की चार सदस्यीय टीम ने खूंटी में दो दिनों तक मामले की जांच-पड़ताल की है.

मालदा है अफीम कारोबारियों का ठिकाना
झारखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में होनेवाली अफीम की अवैध पैदावार को मालदा की मंडियों में तस्करी के जरिये पहुंचाया जाता है. यहां से अफीम को बांग्लादेश भेजा दिया जाता है. हाल ही में रांची पुलिस ने बुंडू में एक ट्रक से करीब 60 लाख रुपए कीमत का डोडा जब्त किया था. जिसे मालदा ले जाया जा रहा था.

झारखंड के खूंटी, पलामू, चतरा और अन्य कई जिलों में भी अफीम खेती होती है. हाल के दिनों में हजारीबाग के इचाक इलाके मे एक अफीम तस्कर से 90 लाख रुपये की अफीम बरामद हुई थी. वहीं मार्च 2017 को खूंटी पुलिस ने मुरहू के कोजरोंग गांव से दो अफीम तस्करों को साढ़े चार किलो अफीम के साथ गिरफ्तार किया था.

नोटबंदी के बाद बढ़ा नकली नोटों का चलन
दरअसल, नोटबंदी के बाद अफीम खरीदने के लिए असली नोट की कमी की वजह से नकली नोट का इस्तेमाल किया जा रहा है. हाल के दिनों में मालदा नकली नोट की तस्करी के सबसे बड़े अड्डे के तौर पर उभरा है. इसकी वजह पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से बांग्लादेश की 173 किमी लंबी सीमा का जुड़ा होना है. इस सीमा पर करीब 55 किमी लंबा इलाका एकदम खुला हुआ है.

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