
देश के सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में एक दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं. लोगों ने जानने की कोशिश की है कि क्या जेएनयू नशेबाजी का गढ़ बन गया है? जेएनयू कैंपस में बीते कुछ सालों में सैकड़ों छात्र-छात्राएं शराब और गांजा पीते पकड़े गए हैं. आरटीआई के जरिए यह बड़ा खुलासा हुआ है.
दिल्ली के आरटीआई एक्टिविस्ट गोपाल प्रसाद ने जेएनयू प्रशासन से सूचना के अधिकार के नियम के तहत सवाल पूछा था कि 2010 से 2016 के बीच कितने छात्र-छात्राएं जेएनयू में नशेबाजी करते हुए पकड़े गए थे और उन पर क्या कार्रवाई हुई? जेएनयू के मुख्य सूचना अधिकारी और चीफ प्रोक्टर के दफ्तर से आया इसका जवाब बेहद चौंकाने वाला है.
आरटीआई में आया जवाब
आपके सवाल के जवाब में हम यह बताना चाहते हैं कि साल 2010 से 2016 के बीच जेएनयू में कुल 300 छात्र-छात्राएं शराब, बियर, गांजा और दूसरे तमाम नशे करते हुए पकड़े गए. जेएनयू प्रशासन की ओर से भेजे गए इस जवाब में सभी 300 छात्र-छात्राओं के नाम, कोर्स और हॉस्टल का नाम दिया गया है. साथ ही बताया गया है कि किस आरोप यानी किस दिन वह नशेबाजी करते हुए पकड़े गए.
आरटीआई से मिले जवाब की मुख्य बातें -
ज्यादातर छात्र-छात्राओं को आधी रात के वक्त शराब, बियर, गांजा और दूसरा नशा करते हुए पकड़ा गया.
कई मामलों में जेएनयू में पढ़ने वाले छात्र-छात्रा अपने बाहरी दोस्तों के साथ कॉलेज कैंपस के अंदर शराब, बियर, गांजा पीते पकड़े गए.
अधिकतर मामलों में सिक्योरिटी स्टाफ या वार्डन से भी बदतमीजी या हाथापाई हुई.
ओपन एयर थियेटर से लेकर 24X7 ढाबा और पार्किंग में भी शराब पीते पकड़े गए.
कुछ छात्र-छात्राएं शराब पीकर अपनी जान जोखिम में डालकर पश्चिमाबाद वाटर टैंक के ऊपर चढ़ते हुए पकड़े गए.
शराब पीकर नशे में तेज म्यूजिक बजाते हुए कुछ छात्र भी पकड़े गए.
कई छात्राएं गांजा पीती पकड़ी गईं.
नशे में धुत होकर गाली-गलौज और हंगामा करते हुए भी कुछ छात्र-छात्राएं पकड़े गए हैं.
अधिकतर छात्र-छात्राओं पर केवल 2000 और 3000 का फाइन लगाया गया.
कुछ मामलों में दोषी छात्र-छात्राओं को एक सेमेस्टर के लिए निलंबित भी किया गया.
पढ़ाई खत्म होने के बाद हॉस्टल नहीं छोड़ते हैं कुछ छात्र
मुख्य सूचना अधिकारी और चीफ प्रॉक्टर के दफ्तर की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया है कि इन 300 समेत कुल 537 छात्र-छात्राओं पर पिछले 6 सालों में जुर्माना लगाया गया है. कार्रवाई की जद में ऐसे अधिकतर छात्र-छात्राएं आए जो अपना कोर्स खत्म होने के बावजूद हॉस्टल नहीं खाली कर रहे थे. छात्रों से इस दौरान जुर्माने की रकम के तौर पर डेढ़ लाख रुपये तक वसूले गए हैं.