
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) हिंसा की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच कर रही है. इस बीच जेएनयू कैंपस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. जेएनयू के गेटों पर दिल्ली पुलिस के जवान तैनात हैं, जो आईडी कार्ड देखने के बाद ही कैंपस में छात्रों को जाने दे रहे हैं. बुधवार शाम कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग टीम भी जेएनयू पहुंच सकती है.
दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन (जेएनयूएसयू) की अध्यक्ष आइशी घोष और 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. उन पर 4 जनवरी को सुरक्षा गार्ड पर हमला करने और सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने का आरोप है. यह मुकदमा जेएनयू प्रशासन की शिकायत पर दर्ज किया गया है. एफआईआर 5 जनवरी को दर्ज की गई थी. इस बीच जेएनयू हिंसा को लेकर पुलिस की शुरुआती जांच रिपोर्ट से बड़े खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, हिंसा में लेफ्ट और एबीवीपी कार्यकर्ता शामिल थे और दोनों पक्षों ने अपने चेहरे ढंके हुए थे.
JNU में हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है. पुलिस की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि नकाब पहनकर जिन लोगों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में हिंसा की थी उनमें अखिल भारतीय विद्या परिषद (ABVP) और लेफ्ट के कार्यकर्ता ही शामिल थे. इन्हीं नकाबपोशों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में तबाही मचाई थी, जिसमें 30 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
बता दें, जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस नकाबपोश गुंडों की पहचान करने के लिए फेस रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है. क्राइम ब्रांच की एक टीम मंगलवारको जेएनयू पहुंची थी. इस टीम ने प्रोफेसरों, छात्रों और सुरक्षा गार्डों के बयान दर्ज किए. दिल्ली पुलिस ने छात्रों को जांच में शामिल होने और अपना बयान दर्ज करने के लिए कहा था. क्राइम ब्रांच की एक टीम हिंदू संगठन के उस बयान को रिकॉर्ड करने के लिए गाजियाबाद जाएगी, जिसने जिम्मेदारी ली है.