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संसद की कैंटीन में नहीं मिलेगा मांसाहार!

संसद की कैंटीन के खाने में 1 जनवरी, 2016 से सब्सिडी खत्म की जानी थी लेकिन यह जारी रही. अब एक बार फिर कैंटीन की सब्सिडी खत्म करने की खबर है. कैंटीन का ठेका बदलने की खबर भी जोरों पर है. इस बीच जिन फूड कंपनियों को नया ठेका देने की बात चल रही है उनमें से दो ब्रांड शुद्ध शाकाहारी हैं. तो क्या अब मान लिया जाए कि संसद की रसोईं को शाकाहारी करने की तैयारी चल रही है?

संसद की कैंटीन होगी शुद्ध शाकाहारी ! संसद की कैंटीन होगी शुद्ध शाकाहारी !
संध्या द्विवेदी
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  • 14 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

संसद की कैंटीन का ठेका हल्दीराम या फिर बीकानेरवाला को मिल सकता है. अभी तक इसका जिम्मा भारतीय रेल के आईआरसीटीसी के पास है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो फिर माननीय मंत्रियों और सांसदों को मांसाहार खाना कैंटीन में नहीं मिलेगा. क्योंकि खाने के यह दोनों ही ब्रांड शुद्ध शाकाहारी हैं. हालांकि सूत्रों की माने तो कैंटीन का ठेका बीकानेरवाला को मिलने के काफी ज्यादा चांस हैं. हालांकि इसकी पुष्टि होनी बाकी है. इन दोनों निजी खाने के ब्रांड के साथ ही सरकारी कंपनी आईटीडीसी का नाम भी ठेका लेने की दौड़ में शामिल बताया जा रहा है.

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संसद की कैंटीन के खाने के दाम गाहे-बगाहे चर्चे में रहते हैं. हाल ही में जेएनयू की फीस बढ़ाए जाने पर संसद की कैंटीन में मंत्रियों और सांसदों को मिलने वाले सस्ते खाने को लेकर सवाल उठे. जेएनयू की हॉस्टल फीस, मेस फीस और ट्यूशन फीस की लिस्ट जमकर वायरल हुई तो जेएनयू के विद्यार्थियों ने संसद में मिलने वाले सस्ते खाने की लिस्ट को वायरल कर दिया. दरअसल संसद की कैंटीन को लेकर यह पहली बार हंगामा नहीं हुआ. 80 फीसद सब्सिडी के साथ नेताओं को मिलने वाला मांसाहार और शाकाहर खाना बीच-बीच में सुर्खियां बटोरता ही रहता है.

31 दिसंबर, 2015 में लोकसभा में एक नोटिस जारी किया गया उसमें लिखा था कि संसद की कैंटीन को चलाने वाली समिति की रिपोर्ट के आधार पर अध्यक्ष ने कई फैसले लिए. यह साफ लिखा गया कि अब कैंटीन 'नो-प्रॉफिट, नो-लॉस' के फार्मूले पर काम करेगी. 1 जनवरी 2016 से कैंटीन में खाना निर्धारित किए गए नए दाम में मिलेगा.

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छह दिसंबर, 2017 में एक आरटीआइ फाइल की गई. उसका जवाब लगभग छह महीने बाद छह जून 2018 को मिला. जानकारी के मुताबिक कैंटीन में दाम बढ़ाए गए लेकिन वे बाजार भाव से बेहद कम थे. जैसे चाय और कॉफी 4 रु. की जगह 5 रु. की कर दी गई. फलों का सलाद बिना क्रीम के 15की जगह 17 रु. का कर दिया गया.

पिछले पांच सालों में कैंटीन को दी गई सरकारी सब्सिडी

एक रोटी का दाम बढ़ाकर एक रु. की जगह 2 रु. कर दिया गया. हैदराबादी चिकन बिरयानी 65 रु. की थी जिसके दाम नहीं बढ़ाए गए. मटन करी भी 45 रु. की ही रही. 31 दिसंबर, 2015 के नोटिस के हिसाब से कैंटीन से मुनाफा नहीं कमाना था लेकिन सब्सिडी नहीं दी जानी थी. पर ऐसा हुआ नहीं. लेकिन अब यह खबर  जोरों पर है कि इस कैंटीन का ठेका अब रेलवे की प्रोफेसनल कंपनी को दिया जाएगा. और इस बार संसद की कैंटीन के खाने में सब्सिडी जीरो की जाएगी.

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