Advertisement

JNU विवाद: उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत

उमर और अनिर्बान ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि उन्हें अपनी सफाई देने के लिए जेएनयू प्रशासन ने कोई मौका नहीं दिया.

पूनम शर्मा/रोहित गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2016,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST

अपने रस्टीकेशन (निष्कासन) को चुनौती देने वाले जेएनयू स्टूडेंट्स उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली. कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को इंक्वायरी रिपोर्ट को लेकर सभी दस्तावेज अगली सुनवाई के दौरान पेश करने का निर्देश दिया.

फाइन चुकाने पर कोर्ट ने लगाई रोक
जेएनयू कैंपस में संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम को लेकर उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को रस्टीकेट किया गया था और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. इन दोनों छात्रों ने यूनिवर्सिटी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर कोर्ट ने दोनों को अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया. हालांकि अदालत ने फिलहाल फाइन की रकम चुकाने पर रोक लगा दी.

Advertisement

'यून‍िवर्सिटी ने हमारे ख‍िलाफ एकतरफा फैसला लिया'
उमर और अनिर्बान ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि उन्हें अपनी सफाई देने के लिए जेएनयू प्रशासन ने कोई मौका नहीं दिया. उन्होंने कहा कि ये हमारे ख‍िलाफ लिया गया एकतरफा फैसला है, जिसमें यून‍िवर्सिटी ने सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया. उमर खालिद के वकील ने कहा कि कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद खालिद मुवक्क‍िल और उनके परिवार को डराया-धमकाया गया और वे 10 दिनों तक अंडरग्राउंड रहे. खालिद ने कहा, 'कोर्ट के आदेश पर मैंने सरेंडर किया, जब अदालत ने मेरी सुरक्षा को लेकर पुलिस को आदेश दिए.'

अगली सुनवाई 30 मई को
जेएनयू के वकील ने कहा कि उमर को शो कॉज नोटिस भी भेजा गया था, लेकिन यूनिवर्सिटी में होने के बावजूद उमर ने उसका कोई जवाब नहीं दिया और न ही खुद कोई सफाई देने के लिए आए. इस मामले की अगली सुनवाई 30 मई को होगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement