
जेएनयू में देशद्रोह मामले में 21 आरोपी छात्रों के जवाब देने का आज आखिरी दिन है. जेएनयू प्रशासन ने शाम 5 बजे तक मोहलत बढ़ा दी है. वहीं, पटियाला हाउस कोर्ट उमर और अनिर्बान की जमानत पर आज फैसला सुना सकता है. बुधवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फैसला दो दिन के लिए सुरक्षित रख लिया था.
'कार्यक्रम के पीछे हिंसा भड़काने का मकसद नहीं'
बुधवार को सुनवाई के दौरान उमर खालिद और अनिर्बान ने कोर्ट में कहा, 'कार्यक्रम के पीछे हिंसा भड़काने जैसा कोई मकसद नहीं था. बिना वजह मामले को तूल दिया गया है.' उन्होंने कहा कि राजद्रोह के मामले में कानूनी तौर पर जैसा प्रावधान है, उस लिहाज से हमने कुछ भी नहीं किया.
कन्हैया नहीं था आयोजक
दिल्ली पुलिस ने कहा कि 8 फरवरी को खालिद और अनिर्बान ने कार्यक्रम की मंजूरी के लिए जेएनयू में आवेदन किया था. दोनों के अलावा कोमल और अश्वतर नाम की छात्रा भी थीं. पुलिस के मुताबिक, कन्हैया के रोल से इन दोनों की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि ये दोनों आयोजक थे, जबकि कन्हैया आयोजक नहीं था.
उमर-अनिर्बान ने चिपकाये थे पोस्टर
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, पोस्टर भी उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य की ओर से चिपकाए गए थे, पोस्टर में कहा गया था कि 9 फरवरी को शाम 5 बजे से 7.30 बजे तक आयोजन होना था. इससे पहले जेएनयू के ज्वॉइंट सेक्रेटरी ने कार्यक्रम की शिकायत की जिसके बाद जेएनयू प्रशासन ने कार्यक्रम रद्द करने का आदेश दिया, लेकिन इसके बावजूद कार्यक्रम शुरू हुआ.
'10 लोग गवाह के तौर पर मौजूद'
पुलिस ने कहा, 'जब दो गुटों का कार्यक्रम के दौरान आमना-सामना हुआ तब भी नारे लग रहे थे. हमारे पास दस लोग गवाह के तौर पर मौजूद हैं जिसमें छात्र, स्टाफ, अन्य लोग हैं जो घटना के वक्त मौजूद थे. इनमें से एक अखिलेश पाठक का भी बयान है जो कि जेएनयू का छात्र है वो सब कार्यक्रम के वक्त मौजूद थे और उन्होंने देशविरोधी नारे सुने थे और पोस्टर देखे थे.'
आरोपी वकील की मौजूदगी पर भी उठे सवाल
सुनवाई के दौरान पटियाला हाउस कोर्ट में जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष से मारपीट करने के आरोपी वकील यशपाल की मौजूदगी पर सवाल उठा तो कोर्ट ने उनसे वजह पूछी. यशपाल ने कोर्ट से कहा कि वह सिर्फ कार्रवाई देखने के लिए कोर्ट में आए हैं. जिसके बाद जज ने उन्हें अनुमति दे दी.
आठों आरोपी छात्रों का निलंबन वापस
इसके पहले जांच रिपोर्ट आने के बाद 11 मार्च को कन्हैया समेत उन 8 छात्रों का निलंबन वापस ले लिया गया था. वे सभी 9 फरवरी को विवादित कार्यक्रम करने के आरोपी हैं. यूनिवर्सिटी ने 10 फरवरी को एक जांच टीम का गठन किया था और 12 फरवरी को छात्रों को निलंबित किया गया था. समिति की सिफारिशों पर यूनिवर्सिटी का फैसला अभी बाकी है.