
जेएनयू में 9 फरवरी की घटना के बाद जहां हिंदुस्तान देशभक्ति, देशद्रोह और लोकतंत्र की मोर्चेबंदी में अटक गया है, वहीं विश्वविद्यालय में पढ़ कश्मीरी छात्रों की परेशानियों को लेकर भी नई बहस शुरू हो गई है. नई दिल्ली स्थित इस यूनिवर्सिटी के कश्मीरी छात्रों का कहना है कि मौजूदा हालात में परेशानी कैंपस से कहीं ज्यादा कैंपस के बाहर है. आलम यह है कि लोग छात्रों को देशप्रेम का पाठ पढ़ा रहे हैं और यदा-कदा शक की निगाह से भी देखते हैं.
जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी देश के सबसे प्रतिष्ठित अध्ययन केंद्रों में से एक है. देश के हर राज्य के छात्र यहां पढ़ते हैं. यूं तो यहां हॉस्टल की कमी के अलावा कोई बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन देशभक्ति और देशद्रोह को लेकर खींची गई लक्षमणरेखा से कश्मीरी छात्रों की मुश्किलें कैंपस के बाहर ज्यादा बढ़ गई हैं. 9 फरवरी को जेएनयू में हुई कथित देश विरोधी नारेबाजी की घटना में उमर खालिद के साथ कुछ और कश्मीरी युवकों की तस्वीरों ने इन छात्रों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
चुभती है लोगों की निगाह
यूनिवर्सिटी में पीएचडी के शोधार्थी फिरोज रब्बानी कहते हैं, 'कैंपस में कोई प्रॉब्लम नहीं है, लेकन बस, ऑटो या बाजार में लोगों की शक की निगाह चुभती है.' एक अन्य छात्र मुतासिफ हुसैन कहते हैं, 'मेरे साथ तो ऐसा कभी नहीं हुआ पर मैंने सुना है कि कुछ लोगो को मुश्किलें आई हैं.' कश्मीरी छात्रों को मलाल है कि पूरा देश कश्मीर चाहता है और वह भी उसी राज्य का हिस्सा हैं. लेकिन शक की निगाह चोट पहुंचाती है.'
हालांकि, ऐसे छात्रों की भी कमी नहीं है जो यह मानते हैं कि यहां सबको बराबर आजादी है, लेकिन ज्यादा आजादी और छूट की चाहत में वो ज्यादा दुखी हैं.