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JNU मामले में बोलीं महबूबा- कोर्ट तय करे कौन दोषी, कौन नहीं

महबूबा ने कहा, 'यह तय करना कि कोई दोषी है या नहीं, कोर्ट का काम है. मीडिया या राजनीतिज्ञों को यह निर्णय करने का अधि‍कार नहीं है.'

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:16 PM IST

जेएनयू विवाद पर रविवार को पहली बार पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने जहां एक ओर कथि‍त तौर पर देश विरोधी नारेबाजी के आरोपियों के मीडिया ट्रायल पर आपत्ति‍ जताई, वहीं यह भी कहा कि मामले में दोषी कौन है यह तय करना कोर्ट का काम है. मुफ्ती ने कहा कि सियासी दल इस विवाद का लाभ लेना चाहते हैं.

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महबूबा ने कहा, 'यह तय करना कि कोई दोषी है या नहीं, कोर्ट का काम है. मीडिया या राजनीतिज्ञों को यह निर्णय करने का अधि‍कार नहीं है.' मुफ्ती का बयान इस मायने में महत्वपूर्ण है कि जेएनयू में बीते नौ फरवरी को जम्मू-कश्मीर की आजादी को लेकर भी नारे लगे थे. जबकि मामले की जांच में जिन छात्रों पर आरोप लगे हैं, उनमें से उमर खालिद के फोन से लगातार कश्मीर बातचीत होने की बात भी सामने आई है.

कश्मीर की आजादी पर होनी थी चर्चा
बता दें कि नौ फरवरी को जेएनयू में डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन की तरफ से अफजल गुरु की बरसी पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. सांस्कृतिक संध्या के नाम पर आयोजित कार्यक्रम में 'कश्मीर की आजादी' पर चर्चा होनी थी और अफजल गुरु से जुड़ी एक फिल्म भी दिखाई जानी थी. सांस्कृतिक संध्या के लिए पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इजाजत दी थी, लेकिन कार्यक्रम शुरू होने से बीस मिनट पहले उसे रद्द कर दिया गया. बावजूद इसके डीएसयू के उमर खालिद की अगुवाई में कार्यक्रम हुआ और उसमें देश विरोधी नारे लगे.

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उमर खालिद के खिलाफ जारी है लुक आउट नोटिस
मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि उमर खालिद सहित तीन के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है. मामले को लेकर दर्ज एफआईआर में उमर खालिद समेत पांच और लोगों के नाम हैं. दिल्ली पुलिस का दावा है कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि कन्हैया ने भी देश विरोधी नारे लगाए थे.

दिल्ली पुलिस ने खुफिया विभाग ने जेएनयू मामले पर एक स्टेटस रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी है. सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 9 फरवरी की सुबह खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने जेएनयू में एक पोस्टर देखा, जिसमें लिखा था कि शाम 5 बजे साबरमती ढाबे में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम होना है. पोस्टर में एक शीर्षक भी लिखा था 'द कंट्री विदआउट ए पोस्टऑफिस' यह कार्यक्रम संसद हमले के दोषी अफजल गुरु और आतंकी मकबूल भटट् की फांसी के विरोध को लेकर था, जिसमें कश्मीर के लोगों की आजादी का भी जिक्र था. इस पोस्टर में अनिरबन, अंजलि, अनवेश, अवस्थी, भावना, कोमल रियाज, रूबीना, उमर और समर के नाम लिखे हुए थे.

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