
देशद्रोह के एक मामले में पिछले हफ्ते ही तिहाड़ जेल से जमानत पर छूट कर आए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने संकेत दिया कि आगामी पश्चिम बंगाल और केरल विधानसभा चुनावों में उनके प्रचार करने की संभावना नहीं है.
मुख्यधारा की राजनीति में आने से इनकार
कन्हैया ने कहा, ‘मैंने पहले ही कहा है कि मुख्यधारा की राजनीति मेरे लिए नहीं है. मैं एक छात्र हूं और अपनी पीएचडी पूरी करने के बाद एक शिक्षक बनना चाहता हूं. बहरहाल, आगे अपनी सक्रियता जारी रखूंगा.’
छात्रों के लिए बहुत कुछ करना बाकी
कन्हैया ने बताया, ‘मेरे दो दोस्त अभी भी जेल में हैं, हमने रोहित वेमुला मामले से लेकर अब के इलाहाबाद यूनिवर्सिटी विवाद सहित कई मुद्दे उठाए हैं. छात्रों के लिए अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है और चुनाव प्रचार के लिए दौरा करने में अधिक समय की जरूरत होगी, जो मेरे लिए मुमकिन नहीं है.’
वाम दलों के लिए चुनाव प्रचार की घोषणा
जेएनयू में कन्हैया के प्रभावी भाषण के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने घोषणा की थी कि विधानसभा चुनावों में कन्हैया वाम दलों के लिए चुनाव प्रचार करेंगे. कन्हैया कुमार ने पश्चिम बंगाल और केरल विधानसभा चुनावों में प्रचार करने की संभावना से इनकार किया है. 29 साल के शोध छात्र ने अपने बारे में दिए गए बयान को लेकर केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू पर भी हमला बोला. नायडू ने कहा था कि जेल से छूटने के बाद कन्हैया मुफ्त के प्रचार का लुत्फ उठा रहा है.
सक्रियता और राजनीति का अंतर समझे नायडू
कन्हैया ने कहा, ‘नायडू ने कहा कि मैं और जेएनयू के अन्य छात्र प्रचार का लुत्फ उठा रहे हैं. बजाय इसके हमें पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हम लोग जो कुछ कर रहे हैं, वह सक्रियता है, लेकिन जो उनकी सरकार कर रही है वह राजनीति है. क्या वह इन दोनों के बीच का अंतर जानते हैं? इस तरह की टिप्पणी से पहले उन्हें इनका अंतर जान लेना चाहिए.’
पढ़ाई छोड़कर राजनीति में शामिल होने की सलाह
तिहाड़ जेल से 18 दिन बाद परिसर लौटे कन्हैया के उत्साही भाषण के बाद नायडू ने छात्र नेता को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने की सलाह दी थी. बीजेपी नेता ने कहा था, ‘कन्हैया मुफ्त की लोकप्रियता बटोर रहे हैं और इसका आनंद उठा रहे हैं. आखिर वह राजनीति में क्यों नहीं आ जाते? अगर वह राजनीति में रूचि रखते हैं, तो अपनी पढ़ाई छोड़कर राजनीति में शामिल हो सकते हैं. आसान है, अपनी पसंदीदा पार्टी से जुड़ जाइए.’
जेएनयू के बौद्धिक छात्रों से कुछ लोगों को डर
बेगुसराय के छात्र ने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि जेएनयू में दाखिला पाना कितना मुश्किल है. क्या वे यह सोचते हैं कि हम यहां बिना पढ़ाई के ही टिके हुए हैं? हमारा मुख्य उद्देश्य ‘पढ़ाई और संघर्ष करना’ है और जो जेएनयू के बौद्धिक छात्रों से डर रहे हैं वही इसे राजनीति बता रहे हैं.’