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JNU की जांच कमेटी ने जारी रखा उमर खालिद का निष्कासन, कन्हैया का जुर्माना

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की उच्चस्तरीय जांच समिति ने विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी 2016 की घटना पर उमर खालिद के निष्कासन, कन्हैया कुमार पर जुर्माने को बरकरार रखा है.  इस समिति ने उमर के निष्कासन और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये के जुर्माने के कायम रखा.

उमर खालिद और कन्हैया कुमार उमर खालिद और कन्हैया कुमार
वरुण शैलेश/स्मिता ओझा/राम किंकर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:51 AM IST

जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) की उच्चस्तरीय जांच समिति ने विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी 2016 की घटना को लेकर उमर खालिद के निष्कासन, कन्हैया कुमार पर जुर्माने को बरकरार रखा.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की उच्चस्तरीय जांच समिति ने विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी 2016 की घटना पर उमर खालिद के निष्कासन, कन्हैया कुमार पर जुर्माने को बरकरार रखा है.  इस समिति ने उमर के निष्कासन और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 10 हजार रुपये के जुर्माने के कायम रखा.

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अक्टूबर 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने जेएनयू की एक अपील को दरकिनार कर दिया था जिसमें विश्वविद्यालय के 15 छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी. इन छात्रों पर आरोप था कि इन्होंने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की बरसी पर 9 फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम का आयोजन किया था.

गौरतलब है कि 9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में हुए एक कार्यक्रम में कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगे थे. इस मामले में जेएनयू छात्रसंघ के उस समय के अध्यक्ष कन्हैया और उनके दो साथियों उमर ख़ालिद और अनिर्बन को गिरफ़्तार किया गया था. हालांकि तीनों बाद में ज़मानत पर छूट गए. मगर कन्हैया कुमार इससे पहले 23 दिन जेल में रहे.

अभी तक दिल्ली पुलिस की तरफ़ से इस मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई है.  कन्हैया को ज़मानत हाईकोर्ट से मिली थी. उसके बाद सेशन कोर्ट ने ज़मानत पक्की कर दी थी. इसके बाद से इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है. मामला दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के पास है. जो अब तक कोई चार्जशीट फ़ाइल नहीं कर पाया है. लेकिन कन्हैया को अब भी देश से बाहर आने-जाने से पहले कोर्ट को बताना पड़ता है.

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बता दें कि जेएनयू की इस जांच समिति ने आरोपी 21 छात्रों को अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया था. हालांकि कमेटी के फैसले का जेएनयू छात्र संघ के अलावा विश्वविद्यालय के टीचर एसोसिएसन ने भी खारिज कर दिया था.

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