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JNU Violence: 60 घंटे बाद भी गिरफ्तारी नहीं, 'नकाबपोशों' को नहीं पहचान सकी पुलिस?

कांग्रेस ने कहा है कि रविवार को हुई हिंसा के बाद इतना वक्त गुजर गया और सबूत होने के बावजूद दिल्ली पुलिस एक भी उपद्रवी को पकड़ने में नाकाम रही है. इसके साथ ही कांग्रेस ने हिंसा में घायल हुईं जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष के खिलाफ एफआईआर करने की भी आलोचना की है.

जेएनयू कैंपस पर पुलिसफोर्स (फोटो- ANI) जेएनयू कैंपस पर पुलिसफोर्स (फोटो- ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:01 PM IST

  • रविवार शाम हुई थी JNU में हिंसा
  • पूरे प्रकरण में कुल 3 एफआईआर दर्ज
  • हिंसा के बाद अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में रविवार शाम हुई हिंसा के बाद अब तक पूरे प्रकरण में तीन एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं, लेकिन न तो कैंपस में लाठी-डंडे चलाने वालों को पुलिस पकड़ पाई है और न ही उससे पहले सर्वर रूम में तोड़फोड़ करने वालों को गिरफ्तार किया गया है. ऐसे में दिल्ली पुलिस को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

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मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी पुलिस के रवैये पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने कहा है कि रविवार को हुई हिंसा के बाद इतना वक्त गुजर गया और सबूत होने के बावजूद दिल्ली पुलिस एक भी उपद्रवी को पकड़ने में नाकाम रही है. इसके साथ ही कांग्रेस ने हिंसा में घायल हुईं जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष के खिलाफ एफआईआर करने की भी आलोचना की है.

JNU हिंसा के बाद 3 एफआईआर दर्ज

जेएनयू में बढ़ाई गई हॉस्टल फीस के फैसले को वापस करने के लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. जेएनयू छात्रसंघ और लेफ्ट विंग से जुड़े संगठन हॉस्टल फीस के खिलाफ पुरजोर तरीके से विरोध कर रहे थे. इसी बीच जेएनयू प्रशासन ने 1 जनवरी से 5 जनवरी के बीच नए सत्र के लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख तय कर दी. रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की गई तो विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सर्वर रूम को घेर लिया. जेएनयू प्रशासन ने आरोप लगाए कि सर्वर रूम में तोड़फोड़ की गई और वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट भी की गई. ये घटना 3 और 4 जनवरी की हैं. इस संबंध में प्रशासन की शिकायत पर वसंत कुंज थाने में दो FIR दर्ज की गईं, जिसमें छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष का भी नाम है.

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सर्वर रूम की घटना के बाद जेएनयू कैंपस में ऐसी हिंसा देखने को मिली, जो पहले कभी नहीं हुई. रविवार शाम (5 जनवरी) 5 बजे छात्रों के बीच मारपीट शुरू हुई जो हिंसा में तब्दील हो गई. कुछ लोग नकाब पहने दिखे, जिनके हाथ में रॉड और लाठी डंडे थे. इन लोगों ने साबरमती हॉस्टल में जमकर उत्पात मचाया और छात्रों के साथ भी मारपीट की गई. इस फसाद में छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत तीस से ज्यादा छात्र घायल हुए. इस हिंसा से जुड़ी एक एफआईआर दिल्ली पुलिस ने दर्ज की.

अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं

डीसीपी साउथ-वेस्ट देवेंद्र आर्या ने बताया है कि जेएनयू में 5 जनवरी को हुई हिंसा से जुड़ी एक एफआईआर दर्ज की गई है, जबकि दो एफआईआर 3 और 4 जनवरी की घटना पर की गई हैं, जिसमें सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाया गया. देवेंद्र आर्या ने बताया है कि आरोपियों की पहचान की जा रही है.

दिलचस्प बात ये है कि रविवार को हुई हिंसा को 60 घंटे से ज्यादा हो गए हैं लेकिन कैंपस में तांडव मचाते लोगों के वीडियो होने के बावजूद पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं. कांग्रेस भी इस पर सवाल उठा रही है और उसने सीधे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते हुए कहा है कि क्या उनके नेतृत्व में दिल्ली पुलिस अक्षम हो गई है.

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वहीं, बुधवार को डीएमके सांसद कनिमोझी ने हिंसा में घायल जेएनयू छात्रसंघ आइशी घोष से मुलाकात के बाद कहा कि अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली पुलिस पक्षपातपूर्ण रवैये के साथ काम कर रही है. उन्होंने कि जिन छात्रों से मारपीट की गई, उनके खिलाफ ही एफआईआर की गई.

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