
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई हिंसा की घटनाओं के कारण दूसरे देशों के छात्रों को दहशत ने जकड़ लिया है. अपने भविष्य को सुरक्षित करने के मकसद से जेएनयू पहुंचे इन छात्रों ने वर्तमान घटनाक्रम पर आजतक से खुलकर बातचीत की. बांग्लादेश की फाहमी ने कहा कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि यहां ऐसा होगा. हम जेएनयू में पढ़ना चाहते थे लेकिन अब मैं नहीं चाहती कि दूसरे सेमेस्टर में यहां अपनी पढ़ाई जारी रखूं.
भारत के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक जेएनयू बांग्लादेश की युवा फाहमी के लिए रातों रात एक बुरा सपना बन गया. जेएनयू के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स में फर्स्ट ईयर की छात्रा फाहमी को उसके परिवार से लगातार फोन आ रहे हैं, वो चिंतित हैं.
उसके पिता ने उन्हें वापस आने को कहा है. फोन पर कहा गया, 'घर वापस आ जाओ, क्योंकि जेएनयू में पढ़ाई तो दूर ठीक से रह भी नहीं सकते. यहां तो हमारा कोई भी नहीं है ऐसे में अगर कुछ हो गया तो कौन देखेगा.'
फाहमी की वरिष्ठ साथी और नीदरलैंड की रहने वाली सरोजनी जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं. वह इस हिंसा से परेशान हैं और इस घटना के लिए कुलपति को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आजतक से बात करते हुए कहा कि यहां जो भी हुआ काफी परेशान करने वाला था.
उन्होंने कहा, 'मैं कुतुब मीनार से एक लेक्चर अटेंड करके आई थी. तभी मुझे पता चला कि मेरे हॉस्टल में हिंसा हुई है. इतना सुनकर मैं वहां से बाहर की ओर आ गई. यह भी पता चला कि मेरे टीचर्स पर हमला हुआ है. उन्हें डंडे से मारा गया था. उसके बाद मैंने देखा कि कई लोग हाथ में डंडा लिए इधर-उधर दौड़ रहे थे.'
उन्होंने कहा, 'यह सब देखकर मैं समझ नहीं पाई कि क्या हो रहा है. कुलपति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि कुलपति कहां हैं, इतना सब कुछ होने के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.' वो कहती हैं कि पिछले 5 साल से यहां रह रही हूं और यहां के प्रशासन द्वारा मुझे खूब प्रताड़ित किया गया है.
वहीं, बांग्लादेश के एक दूसरे छात्र जहीन ने कहा, 'मैंने इस पूरी घटना के बाद घर पर कुछ भी नहीं बताया, अगर बताता तो वो परेशान होते. लेकिन अगली सुबह मेरे पिता न्यूज सुन रहे थे और उन्हें सबसे पहली खबर जेएनयू की मिली. हालांकि, मुझे आगे पढ़ाई करनी है तो मैं वापस नहीं जा रहा. लेकिन पिछले दो महीनों में जेएनयू में कुछ भी अच्छा नहीं रहा. टाइम पर क्लास भी नहीं हुईं. यहां तक कि टीचर्स को पीटा गया और मुझे नहीं पता कि यहां से यह सब कहां जाकर रुकेगा.'