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कन्‍हैया@55: पढ़ाई, सिस्‍टम और क्रांति

बोल कि आजाद हैं लब तेरे.....'देशद्रोह' के आरोप में सलाखों के पीछे किए गए जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने जेएनयू कैंपस में तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद खुले आसमां के नीचे पढ़ाई, सिस्‍टम और क्रांति का मतलब समझाया.

पीयूष शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

बोल कि लब आजाद हैं तेरे.....'देशद्रोह' के आरोप में सलाखों के पीछे किए गए जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने जेएनयू कैंपस में तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद खुले आसमां के नीचे पढ़ाई, सिस्‍टम और क्रांति का मतलब समझाया. पेश हैं कन्‍हैया के तकरीबन 55 मिनट के 'आजाद' भाषण की 'वो' आजाद बातें जिसे पढ़कर शायद आप भी कुछ 'आजादी' महसूस कर सकें...

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1. अब सिस्‍टम को झेला
पहले पढ़ता ज्‍यादा था, सिस्‍टम को कम झेलता था.
इस बार पढ़ा कम है, सिस्‍टम को झेला ज्‍यादा है.

2. भुला देना आसान नहीं
जैसे जेएनयू में एडमिशन पाना आसान नहीं है.
वैसे ही जेएनयू के लोगों को भुलाना आसान नहीं.

3. जेएनयू ने हमें ये सिखाया...
जब लड़ाई विचारधारा की हो तो व्‍यक्ति को जबरन महत्‍व नहीं देना चाहिए.
इसलिए मैं उस नेता का नाम नहीं लूंगा, जिसने लोकसभा में कहा था कि नौजवान सीमा पर मर रहे हैं.
मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि जो उस नौजवान के भाई हैं, पिता हैं... जो रोटी उगाते है, उसके बारे में तुम क्‍या कहते हो?

4. शांति नहीं तब तक....
शांति नहीं तब तक जब तक सुखभाग न सबका सम होगा.
नहीं किसी को बहुत अधिक और नहीं किसी को कम होगा.....

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5. लाल सलाम बोले तो इंकलाब जिंदाबाद
जेल में मेडिकल आदि कराने के दौरान पुलिसवाले ने हमसे पूछा कि आपने लाल सलाम, लाल सलाम क्‍या किया.
तो मैंने बताया लाल मतलब क्रांति और सलाम मतलब क्रांति को सलाम.
उसने कहा मतलब समझ में नहीं आया, इस पर मैंने कहा इंकलाब जिंदाबाद समझते हो. तो उसने कहां हां.
इस पर मैंने कहा उर्दू में ही क्रांति को इंकलाब कहते हैं. अब समझ में आया. तो उसने कहा ये तो एबीवीपी स्‍लोगन लगाती है.

6. पावर हमारे डंडे में है...पर वो चला गया
पुलिसवाले ने मुझसे कहा- सिस्‍टम से ज्‍यादा पावर हमारे डंडे को है.
तो मैंने पूछा इसे आप अपनी मर्जी से चलाते हो. आखिर इसका सारा पावर कहा चला गया.
उसने कहा जो फर्जी के ट्वीट पे स्‍टेटमेंट दे रहा है, उसके पास चला गया.
तो मैंने कहा कि इसी से तो हम आजादी चाहते हैं.

7. जब मन किया कि टीवी में घुस जाऊं....
माननीय पीएम साहब स्‍टालिन, ख्रुश्‍चेव की बात कर रहे थे.
मेरी इच्‍छा हुई कि मैं टीवी में घुस जाऊं और सूट पकड़कर बोलूं कि मोदीजी थोड़ा हिटलर की भी बात कर लीजिए.
हिटलर भी छोडि़ए...मुसोलिनी की बात ही कर दीजिए.

8. ....और अंत में 'मां' की बात
जेएनयू में था तो मैं मां से बात नहीं करता था. जेल गया बात करने लगा. वहां जाकर अहसास हुआ.
अब आप सभी भी बात करने लगिए. मैंने मां से पूछा कि मोदीजी के बारे में तुमने चुटकी ली.
तो उसने कहा लाला....ये चुटकी नहीं है. हम तो अपना दर्द बोलते है. जिनको समझ में आती है वो रोते हैं और जो नहीं समझते वो हंसते हैं.
उसने कहा मेरा दर्द है...'वो' हमेशा मन की बात करते हैं, कभी मां की भी बात कर ले.

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जब तक जेल में चना रहेगा. आना जाना लगा रहेगा....
हालांकि इस बार बहुत देर हो गई.....

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