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JNUTA और JNU छात्र संघ का आंदोलन शुरू, 300 ज्यादा छात्र जुटे

आपको बता दें कि यौन उत्पीड़न मामले के अलावा भी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कई मुद्दों पर प्रशासन के साथ शिक्षकों और स्टूडेंट के मतभेद चल रहे हैं. 75 फ़ीसदी अटेंडेंस के अलावा यूजीसी के कई फैसलों का विरोध हो रहा है, जिसमें हाल में ही 2 उच्च शिक्षण संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करने के फैसला भी शामिल है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार/वरुण शैलेश
  • नई द‍िल्ली,
  • 23 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 4:01 PM IST

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक आज यूनिवर्सिटी कैम्पस से संसद तक रैली निकाल रहे हैं.  इसमें 300 से ज्यादा छात्र शामिल हैं. यौन उत्पीड़न, क्लास में अनिवार्य उपस्थिति, सीट कटौती समेत तमाम मुद्दों को लेकर छात्रों और शिक्षकों में जेएनयू प्रशासन के खिलाफ नाराजगी है. प्रदर्नकारी छात्र यौन उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक अतुल जौहरी की बर्खास्तगी की भी मांग कर रहे हैं.

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इससे पहले इस विरोध मार्च में शामिल होने के लिए अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों से भी अपील की गई थी. इस मार्च की जानकारी जेएनयू स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष गीता ने शुक्रवार को दी थी.

बता दें कि यौन उत्पीड़न मामले के अलावा भी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कई मुद्दों पर प्रशासन के साथ शिक्षकों और छात्रों के मतभेद चल रहे हैं. 75 फ़ीसदी अटेंडेंस के अलावा यूजीसी के कई फैसलों का विरोध हो रहा है, जिसमें हाल में ही 2 उच्च शिक्षण संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करने के फैसला भी शामिल है. इसी वजह से जेएनयू स्टूडेंट यूनियन और टीचर्स असोसिएशन इन मुद्दों पर संसद तक मार्च कर रहा है.

गीता ने अपने ट्वीट में सभी छात्रों और शिक्षकों से अपील की थी कि वे शि‍क्षा को बचाने लिए इस ऐतिहासिक मार्च में शामिल हों. उनका कहना है कि जेएनयू और देश को बचाने के लिए इस मार्च में शामिल हों. गीता ने साथ में एक पोस्टर भी शेयर किया है कि यह मार्च देशभर के विश्वविद्यालयों में हो रही नाइंसाफी के को बंद करने के लिए है.

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छात्रों में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि यौन उत्पीड़न के आठ आरोप लगने के बाद भी अतुल जौहरी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है.  इसी तरह जेएनयू शिक्षकों की नाराज़गी इस बात पर है कि प्रशासन उनसे सलाह लिए बग़ैर एक के बाद एक नए नियम क्यों बनाए जा रहा है?  2016 के बाद से वहां ऐसे कई नियम बनाए गए हैं जिन पर शिक्षकों और छात्रों को एतराज़ है.

टीचर्स एसोसिएशन की प्रेसीडेंट सोनाझरिया मिन्ज़ के अनुसार कई सारे मुद्दे हैं जिसके लिए यह मार्च निकाला जा रहा है. इसमें 75 फ़ीसदी अटेंडेंस की खिलाफत करने की वजह से 7 चेयरपर्सन को हटाने के नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग शामिल है.

सोनाझरिया मिन्ज़ के अनुसार अन्य मांगों में एग्ज‍िक्यूटिव काउंसिल के उस फैसले को वापस लेना भी शामिल है, जिसमें शिक्षकों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए कमेटी बनानेकी बात कही गई है. जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन के सचिव सुधीर कुमार ने भी इन मार्च में शामिल होने के लिए दूसरे टीचर्स असोसिएशन अपील की थी.

अटॉनमी का भी किया विरोध

सोनाझरिया मिन्ज़ को के अनुसार ऑटोनमी का फैसला और मुश्किलें बढ़ाएगा और जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन इस फैसले का पुरजोर विरोध करती है. ऑटोनमी के नाम पर निजीकरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके साथ ही सरकार उच्च शिक्षा को आसान बनाने की अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है.  मिन्ज़ के अनुसार ऐसे में उनके पास आंदोलन करने के अलावा को चारा नहीं रह गया है.

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इनको मिली स्वायत्तता

गौरतलब है कि  यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने देश के 62 उच्च शिक्षण संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की है, इन संस्थानों में कई विश्वविद्यालय शामिल है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी ने पांच केंद्रीय और 21 राज्य विश्वविद्यालयों सहित 62 उच्च शैक्षणिक संस्थाओं को पूर्ण स्वायत्तता दी है. जिन संस्थाओं को पूर्ण स्वायत्तता दी गई है, वे अपनी दाखिला प्रक्रिया, फीस की संरचना और पाठ्यक्रम तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे.

इस सूची में उन संस्थानों का नाम शामिल किया गया है, जिसे NAAC स्कोर में 3.26 अधिक अंक हासिल हुए हैं. इसमें सबसे ज्यादा स्कोर 3.77 अंक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को मिला है. स्वायत्ता मिलने के बाद यह सभी संस्थान बगैर यूजीसी की अनुमति के ही नए कोर्स और विभाग चालू कर सकेंगे.

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