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मेरे लिए मेरी मां ही मेरी भगवान हैं: जॉन अब्राहम

'ढिशूम' की सफलता के बाद पेश है जॉन अब्राहम से हुई खास बातचीत के कुछ मुख्य अंश...

जॉन अब्राहम जॉन अब्राहम
स्वाति गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2016,
  • अपडेटेड 2:06 PM IST

बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम की हाल ही में फिल्म 'ढिशूम' रिलीज हुई है. इस फिल्म की सफलता के बाद जॉन से हुई खास बातचीत के पेश हैं कुछ मुख्य अंश...

कैसा रहा 'ढिशूम' का अनुभव?
बहुत ही बेहतरीन रहा, मैंने यह फिल्म रोहित धवन के लिए की है. फिल्म के दौरान वरुण के साथ काम करना अच्छा रहा, जब मैं रोहित की फिल्म 'देसी ब्वॉयज' कर रहा था उन दिनों वरुण अपनी पहली फिल्म की तैयारी कर रहे थे.

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रोहित को पहले से जानते हैं?
जी हां, वो फिल्म 'हुक या क्रूक' में असिटेंट डायरेक्टर थे तब से मैं उन्हें जानता हूं. हालांकि वो फिल्म रिलीज नहीं हुई. मैंने उनके पिता डेविड धवन के साथ भी काम किया है. वो आज भी बिल्कुल नहीं बदले. मैंने ऐसे कई डायरेक्टर्स को देखा है जो सफलता मिलते ही बदल जाते हैं.

इंडस्ट्री में क्या जरूरी बात है?
इंडस्ट्री में सबसे बड़ी बात है 'काम करने का ढंग' जो रोहित को अच्छे तरीके से आता है. वो मेरे छोटे भाई जैसा है.

वरुण के बारे में क्या कहेंगे?
वरुण को मैंने 'ढिशूम' के दौरान काफी ट्रेन किया है जिससे वो हरेक सीन में और भी जबरदस्त दिखाई दे. एक बार जब मैं 6 घंटे के लिए नहीं था तब एक हादसा हुआ जिसकी वजह से वरुण की ऊंगली में चोट आई, वो बेहोश हो गया. मैं उसे अपने साथ जिम में ट्रेनिंग भी दिया करता था.

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आप स्टंट खुद करते हैं?
जी हां, मैं अपने सारे स्टंट खुद ही करता हूं. मुझे बॉडी डबल रखना बिल्कुल पसंद नहीं है. मुझे एक्शन करना अच्छा लगता है और मैंने 'फोर्स 2' में भी सारे स्टंट खुद ही किए हैं लेकिन उसी दौरान मेरे घुटनो में चोट भी लग गई थी. मैंने फिर भी एक्शन किया और डॉक्टर के पास गया. वहां के डॉक्टर ने कहा कि पैर निकालना पड़ेगा, फिर मैंने इंडिया के डॉक्टर को फोन किया और भारत चला आया. यहां डॉक्टर ने मुझे बचा लिया. तीसरी बार मेरा यहां आपरेशन हुआ. इंजरी का मतलब मेरे लिए फेल होना है और यही कारण है कि आज मैं सबसे ज्यादा फिट हूं.

तो आपको लगता है भगवान आपके साथ हैं?
मेरे लिए मेरी मां ही मेरी भगवान हैं. वो मेरे साथ हमेशा रहती हैं और हर पल मेरा साथ देती हैं.

आपके प्रोड्यूसर बनने के पीछे क्या कारण था?
मैं जिस तरह की फिल्में करना चाहता था, वो अक्सर मिल नहीं पाती थी. अब एक प्रोड्यूसर के तौर पर कम से कम मैं ऐसी फिल्में बना पा रहा हूं.

आपकी परफॉरमेंस अच्छी होती है लेकिन अवॉर्ड नहीं मिलते?
स्टीवन स्पिलबर्ग और फ्रांसिस फोर्ट कोपोला जैसे लोगों ने मेरी परफॉरमेंस की सराहना की है लेकिन ये बात अवॉर्ड्स के दौरान यहां कोई नहीं समझता. मुझे अवॉर्ड्स नहीं मिलते क्योंकि मैं अवॉर्ड सेरेमनी में नहीं जाता. मेरे हिसाब से 'मद्रास कैफे' मेरी बेस्ट परफॉरमेंस थी और वो मेरे दिल के काफी करीब है.

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क्या आपको लगता है कि आपने जो चाहा था, वो मिल चुका है?
नहीं, अभी ऐसा नहीं हुआ है. मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं, किरदारों की खोज करना चाहता हूं. एक्टिंग पहला प्यार है और प्रोडक्शन दूसरा...मुझे कॉमेडी काफी पसंद है.

खुद की सफलता का श्रेय आप किसको देते हैं?
मैं खुद की सफलता का श्रेय खुद को ही देता हूं क्योंकि इसके लिए मैं कड़ी मेहनत करता हूं. साथ ही मेरे लिए सपोर्ट सिस्टम भी बहुत हैं लेकिन उनके होते हुए भी मेहनत मुझे ही करनी होगी.

हॉलीवुड का प्लान है?
नहीं, अभी तो सिर्फ भारत की ही ऐसी फिल्में करनी हैं जो इंटरनेशनल मार्केट में भी रिलीज हो.

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