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घरेलू मैदान पर पहली बार जूनियर हाकी वर्ल्ड कप जीत सकता है भारत: हरेंद्र सिंह

भारत को अपनी सरजमीं पर जूनियर हाकी विश्व कप का प्रबल दावेदार बताते हुए कोच हरेंद्र सिंह ने कहा है कि दबाव के आगे घुटने नहीं टेकने और एक ईकाई के रूप में खेलने की कला मेजबान को पोडियम तक ले जाएगी.

जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप
BHASHA/अमित रायकवार
  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 1:41 PM IST

भारत को अपनी सरजमीं पर जूनियर हाकी विश्व कप का प्रबल दावेदार बताते हुए कोच हरेंद्र सिंह ने कहा है कि दबाव के आगे घुटने नहीं टेकने और एक ईकाई के रूप में खेलने की कला मेजबान को पोडियम तक ले जाएगी. एफआईएच जूनियर हाकी विश्व कप लखनउ में आठ से 18 दिसंबर तक खेला जायेगा जिसमें मेजबान भारत समेत 16 टीमें भाग लेंगी. भारत को कनाडा, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के साथ पूल डी में रखा गया है.

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जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप
पंद्रह साल पहले एकमात्र जूनियर विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम को इस बार प्रबल दावेदार बताते हुए हरेंद्र ने कहा, 'पिछले दो ढाई साल की तैयारियों के आधार पर मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि इस बार हम पोडियम फिनिश जरूर करेंगे. पिछले अधिकांश बड़े टूर्नामेंटों में हम खाली हाथ नहीं लौटे हैं जिससे टीम का आत्मविश्वास बढा है.' उनके इस आत्मविश्वास का कारण टीम की मानसिक दृढता है जिसका परिचय कई बड़े मैचों में टीम ने दिया है.

'खिलाड़ी पूरी तरह से हैं तैयार'
हरेंद्र ने कहा, 'यह टीम दबाव के आगे घुटने टेकने वाली नहीं है और निर्णायक क्षणों में अच्छा प्रदर्शन करती आई है. इसके अलावा कोई खिलाड़ी व्यक्तिगत स्तर पर नहीं खेलता बल्कि सभी एक ईकाई के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने को लालायित है. यही हमारी सफलता की कुंजी साबित होगा

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मैने खिलाड़ियों को 'सी' की घुट्टी पिलाई है: हरेंद्र
हरेंद्र ने कहा, 'मैने खिलाड़ियों को ‘सी’ की घुट्टी पिलाई है और मैदान पर वे एक दूसरे को यह याद दिलाते रहते हैं. सी यानी कम्युनिकेशन, कनेक्ट, कमिटमेंट, कम्युनिटी, कांफिडेंस, करेज, क्रिएटिविटी, क्लास, क्रेजी, चीयरफुल और कोलोबरेशन.' उन्होंने कहा, 'तैयारी के आधार पर शीर्ष टीमें बराबरी पर ही होती है. फर्क सिर्फ मानसिक तैयारी का है और जो दबाव को झेल जायेगा, वही जीतेगा . मेरी टीम इस मानदंड पर सौ फीसदी खरी उतरेगी . हमने व्यक्तिगत स्तर पर भी और टीम के रूप में भी इस पर काफी फोकस किया है.' 'अठारह साल पहले अपने कोचिंग कैरियर का आगाज करने वाले हरेंद्र जूनियर और सीनियर टीमों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में आठ स्वर्ण, पांच रजत और नौ कांस्य पदक जीत चुके हैं.

'किसी भी टीम को हल्के में नहीं लेंगे'
यह पूछने पर कि क्या घरेलू सरजमीं पर खेलने का भारत को फायदा मिलेगा, उन्होंने कहा कि इसके फायदे नुकसान दोनों हैं. उन्होंने कहा, 'अपने देश में खेलने के फायदे और नुकसान दोनों है. मैने अपने खिलाड़ियों को सलाह दी है कि वे सिर्फ सकारात्मक पक्ष की ओर देखें और नकारात्मक पहलू पर ध्यान नहीं दे ताकि दबाव से परे रह सकें.' किन टीमों को वे खिताब के दावेदारों में गिनते हैं, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि वर्ल्डकप में किसी को हलके में नहीं लिया जा सकता और वे मैच दर मैच रणनीति बनायेंगे.

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