
जस्टिस टीएस ठाकुर देश के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे. वह वर्तमान चीफ जस्टिस एचएल दत्तू के दो दिसंबर को सेवानिवृत्त होने पर अपना पदभार ग्रहण करेंगे.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश दत्तू ने शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश ठाकुर को अपनी जगह नियुक्त करने की सरकार से सोमवार को सिफारिश की. जस्टिस ठाकुर की नियुक्ति के मामले में कानून मंत्रालय से औपचारिकता पूरी होने के बाद उनकी फाइल प्रधानमंत्री कार्यालय भेजी जाएगी. इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर उनकी नियुक्ति संबंधी वारंट जारी किया जाएगा.
J-K हाई कोर्ट से शुरू किया करियर
जस्टिस ठाकुर देश के 43वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनका जन्म 4 जनवरी 1952 को हुआ था और उन्होंने बतौर वकील अक्टूबर 1972 में अपना पंजीकरण करवाया. जस्टिस ठाकुर ने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में दीवानी, फौजदारी, टैक्स, सांविधानिक मामलों और नौकरी से संबंधित मामलों में वकालत शुरू की.
इसके बाद उन्होंने अपने पिता मशहूर अधिवक्ता स्व. डीडी ठाकुर के चैंबर में काम शुरू किया. जस्टिस ठाकुर के पिता भी जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के न्यायाधीश और फिर केंद्रीय मंत्री रह चके हैं. न्यायमूर्ति ठाकुर को 17 नवंबर 2009 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया. देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 4 जनवरी 2017 तक रहेगा.
फिक्सिंग और घोटालों की सुनवाई
न्यायमूर्ति ठाकुर ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण में फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता की थी. बहुचर्चित सारदा चिट फंड घोटाला मामले की जांच की निगरानी भी जस्टिस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ही कर रही है. यूपी के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले की सुनवाई भी उन्हीं की देखरेख में हो रही है. इस मामले में अन्य नेताओं और नौकरशाहों के साथ ही यूपी के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा भी आरोपी हैं.
न्यायमूर्ति ठाकुर को 1990 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत किया गया. इसके चार साल बाद 16 फरवरी 1994 को उन्हें जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और मार्च 1994 में उनका तबादला कर्नाटक कोर्ट कर दिया गया. बाद में सितंबर 1995 में उन्हें स्थाई न्यायाधीश बना दिया गया और फिर जुलाई 2004 में उनका तबादला दिल्ली हाई कोर्ट कर दिया गया था. 9 अप्रैल 2008 से 11 अगस्त 2008 के दौरान वह दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे.
-इनपुट भाषा से