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Review: काला में रजनीकांत के सामने कमजोर नहीं हैं नाना पाटेकर

फिल्म काला को तमिल तेलुगु मलयालम के साथ साथ हिंदी भाषा में भी वर्ल्डवाइड रिलीज किया गया है.  कैसी है ये फिल्म , आइए समीक्षा करते हैं...

रजनीकांत रजनीकांत
ऋचा मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

फिल्म का नाम : काला करिकालन

डायरेक्टर: पा रंजीत

स्टार कास्ट: रजनीकांत , नाना पाटेकर , हुमा कुरैशी ,पंकज त्रिपाठी, अंजलि पाटिल

अवधि: 2 घंटा 47 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 3.5 स्टार

डायरेक्टर पा रंजीत का जन्म चेन्नई के पास कारलापक्कम नामक गांव में हुआ था और शायद यही कारण है की उनकी फिल्मों में आम आदमी का कनेक्ट जरूर होता है , अटकती, मद्रास और कबाली के बाद अब पा रंजीत ने रजनीकांत स्टारर काला करिकालन डायरेक्ट की है, फिल्म का रिलीज से पहले ही फैंस को बेसब्री से इंतजार था. फिल्म को तमिल तेलुगु मलयालम के साथ साथ हिंदी भाषा में भी वर्ल्डवाइड रिलीज किया गया है.  कैसी है ये फिल्म , आइए समीक्षा करते हैं...

कहानी:

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फिल्म की कहानी मुंबई के धारावी इलाके से शुरू होती है  जहां का राजा काला करिकालन (रजनीकांत) अपने परिवार के साथ रहता है . काला की साउथ के एक गांव से मुंबई के धारावी इलाके तक पहुंचने की सफर को फिल्म के दौरान दर्शाया जाता है. आज वो धारावी का किंग है, लोग उसकी बातें सुनते हैं , चुनाव होने पर उसको वोट भी देते हैं. काला बच्चों के साथ क्रिकेट और फुटबॉल भी खेलता है , वहां रहने वाले लोगों की मदद भी करता है और एक तरह से मसीहा कहलाता है . एक दिन जब विदेश से जरीना (हुमा कुरैशी ) की वापसी होती है तो काला का उत्साह बढ़ जाता है . जरीना एक सिंगल मदर है और उसकी भी एक कहानी है जो फिल्म के दौरान आपको पता चलती है, सब ठीक चल रहा होता है तभी लोकल नवभारत राष्ट्रवादी पार्टी के मुखिया हरिदेव अभयंकर (नाना पाटेकर) की एंट्री के साथ ही कहानी में कई उतार चढ़ाव आते हैं. हरिदेव और काला के बीच का छत्तीस का आंकड़ा है और दोनों एक-दूसरे के पीछे हाथ धोकर पड़े रहते हैं जिसके पीछे आपसी रंजिश और वर्चस्व की लड़ाई होती है . कई बार दोनों को सामना भी होता है पर अंत में क्या होता है ,ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

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जानिए आखिर फिल्म को क्यों देख सकते हैं:

फिल्म में रजनीकांत की मौजूदगी से एक अलग तरह का स्वैग दिखाई पड़ता है. कहानी टिपिकल वर्चस्व की लड़ाई, अमीर-गरीब के बीच के फासले वाले पैटर्न पर ही बेस्ड है जिससे दर्शक जरूर कनेक्ट करेंगे . रजनी के चश्मा पहनने का ढंग, लूंगी स्टाइल , लड़ाई का तरीका, संवाद बोलने का अंदाज दर्शकों की सीटियां और तालियां जरूर पाता है. वहीं दूसरी तरफ नाना पाटेकर का दमदार प्रदर्शन भी देखने को मिलता है, एक तरह से कह सकते हैं की एक दूसरे के सामने जब ये दोनों दिग्गज मौजूद होते हैं और संवादों का आदान प्रदान होता है तो देखने लायक दृश्य होता है . फिल्म में अंजलि पाटिल और पंकज त्रिपाठी ने भी बढ़िया अभिनय किया है . वहीं हुमा कुरैशी का जरीना के रूप में काम अच्छा है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर बेहतरीन है जो की कहानी के संग-संग चलता है. कैमरा वर्क और खास तौर पर ड्रोन कैमरे का प्रयोग बड़े अच्छे तरह से किया गया है जो काफी दर्शनीय है . फिल्म का संगीत ठीक है और रैप करते हुए भी धारावी का एक अलग फ्लेवर दर्शाने की कोशिश की गयी है . कहानी के दौरान महाभारत के कुछ हिस्सों को अच्छे से स्क्रीनप्ले में फिट किया गया है. रजनीकांत डांस करते हुए भी दिखाई देते हैं जो उनके फैंस के लिए ट्रीट है.

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कमज़ोर कड़ियां:

फिल्म का फर्स्ट हाफ क्रिस्प है, सेकंड हाफ बड़ा लगता है, जिसे सटीक एडिट किया जाता तो फिल्म और भी दुरुस्त नजर आती, इस फिल्म में आपको पता रहता है की अगले पल क्या होने वाला है , थोड़ा सा सरप्राइज एलिमेंट और बढ़ाया जाता तो फिल्म और भी बढ़िया लगती. रिलीज से पहले गाने हिट नहीं हो पाए , जिस पर काम किया जा सकता था. क्लाइमेक्स और बेहतर हो सकता था.

बॉक्स ऑफिस :

फिल्म का बजट लगभग 140 करोड़ रुपये  बताया जा रहा है और खबरें हैं की रिलीज से पहले ही फिल्म ने 230 करोड़ रुपये कमा लिए हैं. ब्रॉडकास्ट के राइट्स 70  करोड़ में बिके हैं जबकि म्यूजिक 5 करोड़ में दिया गया है . वहीं थियेट्रिकल राइट्स 70  करोड़ (तमिलनाडु) , 33 करोड़ (आंध्र प्रदेश) 10 करोड़ (केरल) में गए हैं. ओवरसीज राइट्स लगभग 45  करोड़ में बेचे गए हैं. फिल्म को बड़े पैमाने पर रिलीज किया गया है और बड़ा वीकेंड हो सकता है. 

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