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कैराना: मृगांका ने स्वीकारी हार, कहा- विपक्ष मजबूत, तैयारी जरूरी

उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार के द्वारा बहुत काम हुए हैं लेकिन हम लोगों को समझा नहीं पाए हैं. मृगांका ने कहा कि वह इस हार से निराश हैं, लेकिन हताश नहीं हैं. आपको बता दें कि कैराना में रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन करीब 50 हज़ार वोटों से आगे चल रही हैं.

मृगांका सिंह (File) मृगांका सिंह (File)
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2018,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST

उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित लोकसभा सीट कैराना में महागठबंधन की प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने बड़ी बढ़त बना ली है और उनकी जीत तय दिख रही है. बीजेपी की ओर से उम्मीदवार मृगांका सिंह ने भी अपनी हार कबूल कर ली है. उन्होंने कहा कि यहां हमें कुछ हज़ार वोटों से हार मिली है, मैं महागठबंधन की उम्मीदवार को बधाई देती हूं. उन्होंने कहा कि इन चुनाव में विपक्ष मजबूत हुआ है, हमें भविष्य के लिए तैयार होना पड़ेगा.

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उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार के द्वारा बहुत काम हुए हैं लेकिन हम लोगों को समझा नहीं पाए हैं. मृगांका ने कहा कि वह इस हार से निराश हैं, लेकिन हताश नहीं हैं. आपको बता दें कि कैराना में रालोद उम्मीदवार तबस्सुम हसन करीब 50 हज़ार वोटों से आगे चल रही हैं.

तबस्सुम ने बीजेपी पर जमकर बोला हमला

दूसरी ओर तबस्सुम हसन ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ये झूठ और जुमलेबाज सरकार पर सच्चाई की जीत है.

कैराना सीट पर रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं तबस्सुम ने कहा कि अभी ये महागठबंधन की शुरुआत है, ये आगे चलकर और भी मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि ईवीएम-वीवीपैट मशीनों में बीजेपी की ओर से गड़बड़ी की जाती है, मैं अभी भी अपने स्टैंड पर कायम हूं. तबस्सुम बोलीं कि मैं चाहती हूं कि आगे चलकर मशीनों से चुनाव नहीं होने चाहिए.

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चुनाव से पहले उठाए गए जिन्ना मुद्दे पर उन्होंने कहा कि जिन्ना काफी पहले थे, अब सिर्फ उनकी तस्वीर है लेकिन इन्होंने (बीजेपी) उसे भी मुद्दा बना दिया. ये लोग विकास और किसानों की बात नहीं कर रहे हैं. सिर्फ इसी प्रकार के मुद्दों को भुनाते हैं.

कैराना में बड़ी हार की तरफ बीजेपी

2014 में मोदी लहर के दम पर भारतीय जनता पार्टी ने यहां बड़ी जीत दर्ज की थी. पूर्व सांसद हुकुम सिंह यहां करीब 3 लाख वोटों से जीते थे. लेकिन ऐसा लगता है कि चार साल में हवा पूरी तरह से पलट गई है. 2018 में अब जब यहां उपचुनाव हो रहे हैं तो सयुंक्त विपक्ष की उम्मीदवार तबस्सुम हसन करीब चालीस हज़ार वोटों से आगे चल रही हैं.

बीजेपी ने यहां सहानुभूति के नाम पर वोट हासिल करने के लिए हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा. लेकिन उसका ये दांव भी नहीं चल पाया. बीजेपी के सारे फॉर्मूले महागठबंधन के आगे फेल होते दिख रहे हैं. जबकि 2014 लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां विपक्ष का सफाया कर दिया था.

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