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एक किला, तीन बदमाश और 45 गैंगरेप

गैंगरेप का गुनाह, अपने-आप में कुछ इतना घिनौना और कचोटनेवाला है कि सुनते ही मन कड़वा हो जाता है. लेकिन अगर कहीं, किसी के 45 से भी ज़्यादा गैंगरेप करने की बात सुनने को मिले, तो तकलीफ़ कितनी और कैसी होती है, ये बयान करना भी मुश्किल है.

Indore 45 gang rape Indore 45 gang rape
aajtak.in
  • भोपाल/इंदौर,
  • 27 जून 2015,
  • अपडेटेड 5:52 AM IST

गैंगरेप का गुनाह, अपने-आप में कुछ इतना घिनौना और कचोटनेवाला है कि सुनते ही मन कड़वा हो जाता है. लेकिन अगर कहीं, किसी के 45 से भी ज़्यादा गैंगरेप करने की बात सुनने को मिले, तो तकलीफ़ कितनी और कैसी होती है, ये बयान करना भी मुश्किल है. इंदौर के नज़दीक कजलीगढ़ के क़िले से निकली हक़ीक़त कुछ ऐसी ही है. यहां पुलिस के हाथ लुटेरों के एक ऐसे गैंग तक पहुंचे हैं, जिन्होंने तीन सालों में करीब 45 से भी ज़्यादा लड़कियों से गैंगरेप किया. सुनकर यकीन नहीं होता, देख कर आंखें धोखा खा जाती हैं. मगर क्या करें? यही सच है. वो सच, वो जो इंदौर के इस मशहूर कजलीगढ़ क़िले से सामने आया है. सामने आया है कि किस तरह इस क़िले में सालों-साल सैलानी आते रहे और गैंगरेप का शिकार हो कर खामोशी से वापस लौटते रहे.

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सामने आया है कि किस तरह क़िले की दरो-दीवार के बीच छुपे इंसानियत के लुटेरे सालों-साल सैलानियों को अपना शिकार बनाते रहे और तमाम क़ीमती चीज़ों के साथ-साथ लड़कियों की अस्मत भी लूटते रहे.

और सामने आया है कि अस्मत की लूट के साथ-साथ कजलीगढ़ के ये गुनहगार किस तरह गैंगरेप की शिकार लड़कियों का एमएमएस बनाते रहे और इन्हीं एमएमएस के ज़रिए उन्हें ब्लैकमेल करते रहे.

इस तरह खुला मामला
कजलीगढ़ की ये काली कहानी शायद कभी ज़माने के सामने नहीं आती, अगर पुलिस के हाथ ये छुटभैये लुटेरे ना लगे होते. लेकिन इंदौर की सिमरोल पुलिस लूटपाट की एक शिकायत की तफ्तीश करती हुई इन बदमाशों तक क्या पहुंची, एक ख़ौफ़नाक और दहलाने वाली कहानी सामने आ गई. एक ऐसी कहानी जिस पर खुद पुलिसवालों के लिए भी यकीन करना मुश्किल हो गया. इन बदमाशों ने लूटपाट की बात तो कुबूल की ही, लेकिन साथ ही कुबूल किया कि वो पिछले कुछ सालों में कजलीगढ़ के क़िले में लूटपाट के साथ-साथ वहां घूमने आनेवाली तकरीबन 45 से भी ज्यादा लड़कियों से गैंगरेप भी कर चुके हैं. ये कोई मामूली कुबूलनामा नहीं था. लिहाज़ा, लूट के डिटेक्शन से राहत की सांस ले रही पुलिस ये सुन कर खुद ही सकते में आ गई. धाकड़ से धाकड़ पुलिसवालों के भी होश उड़ गए.

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खंडहरों के पीछे छिपकर देते थे वारदात को अंजाम
लेकिन कहते हैं ना, कि पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद अच्छे-अच्छे बदमाशों के भी होश उड़ जाते हैं. तो इस बार इन बदमाशों के होश कुछ ऐसे उड़े कि उन्होंने बिल्कुल किसी तोते की तरह अपने करतूतों की कहानी सुनानी करनी शुरू कर दी. और ये करतूत थी, 45 से ज़्यादा लड़कियों से गैंगरेप की. दरअसल, ये गैंग कजलीगढ़ की सुनसान वादियों और किले के खंडहरों के पीछे छुप कर सालों से लूटपाट और गैंगरेप की इन वारदात को अंजाम दे रहा था, लेकिन ज़्यादातर मामलों में गैंगरेप का शिकार होनेवाली लड़कियां, उनके दोस्त या फिर रिश्तेदार लोकलाज के डर से पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाने ही नहीं पहुंचे. अब लूट के साथ-साथ सीरियल गैंगरेप का ये मामला सामने आ जाने के बाद खुद पुलिस को ही ये समझ में नहीं आ रहा है कि आख़िर वो इस मामले की तफ्तीश अब आगे बढ़ाए, तो कैसे बढ़ाए.

कपड़े उतारकर जंगल में छोड़ देते थे
वो पहले गैंगरेप करते. और फिर एमएमएस बना लेते. और जब इससे भी मन नहीं भरता, तो लड़कियों के कपड़े तक उतार कर उन्हें जंगल में भटकने के लिए छोड़ देते. कहने का मतलब ये कि गैंगरेप का ये ख़ौफ़ और सदमा इतनी दूर तक लड़कियों का पीछा करता. कि कोई कभी पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं. और बस, इसी तरीके का फायदा उठा कर वो सालों-साल लड़कियों की अस्मत से खेलते रहे. और गैंगरेप की शिकार लड़कियां चुपचाप सबकुछ सहती रहीं.

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4 बदमाशों के इस गैंग के गिरफ्त में आने के बाद जब इसके सरगना श्रीराम ने मुंह खोला, तो पुलिस बस सुनती ही रह गई. उसने कहा कि वो ना सिर्फ़ कजलीगढ़ में घूमने आनेवाले सैलानियों को अकेला पाकर उनके साथ लूटपाट करते थे, बल्कि लड़कियों के साथ गैंगरेप भी उनका पसंदीदा शगल था. लेकिन गैंगरेप की वारदात को अंजाम देने का इनका तरीक़ा यानी इनकी मॉडस ऑपरेंडी बिल्कुल हट कर थी. कुछ ऐसी कि वारदात का शिकार होने के बाद लड़कियां खुद अपने पैरों पर चल पुलिस के पास पहुंचने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाती थी.

ऐसे करते थे ये घिनौना काम
--ये बदमाश अक्सर उन्हीं लड़कियों को अपना शिकार बनाते थे, जो अपने पति या ब्वॉयफ्रैंड के साथ यहां पहुंचती थीं और सुनसान जगहों पर घूमने निकल जाती थीं.
--दोनों को अकेला पाकर पहले तो हथियारों की नोंक पर बदमाश उन्हें धमकाते, उनसे मारपीट और लूटपाट करते और फिर लड़के को मारपीट कर क़ाबू करने के बाद उसके सामने लड़की से ज़्यादती करते थे.
--इसमें भी ख़ास बात ये थी कि गैंगरेप के साथ-साथ वो इन जोड़ों की आपत्तिजनक हालत में एमएमएस भी बना लिया करते थे और साथ ही ये धमकी भी देते थे कि अगर उन्होंने पुलिस के पास जाने की ग़लती की, तो वो ये एमएमएएस पूरी दुनिया में फैला कर उन्हें बदनाम कर देंगे.
--बहुत से मामलों में तो इस गैंग के बदमाशों ने लड़कियों के साथ ज़्यादती करने के बाद उनके कपड़े तक नहीं लौटाए और बदमाशों के चले जाने के बाद ऐसी लड़कियों ने आस-पास रहनेवाले ग्रामीणों से कपड़े मांग कर पहने.
--इतना ही नहीं गैंगरेप और लूटपाट के साथ ही वो अपनी पकड़ में आए जोड़े के मोबाइल फ़ोन से उनका सिम कार्ड निकाल कर भी उनके सामने ही तोड़ देते, ताकि उनके चंगुल से छूटने के बाद वो फ़ौरन मदद के लिए किसी से बात भी ना कर सकें.
--और इसमें कजलीगढ़ क़िले के सुनसान खंडहर और यहां के घने जंगलों की ओट इन बदमाशों के लिए छिपने की जगह साबित होती.

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पुलिस की मुश्किल, तफ्तीश कैसे आगे बढ़े
हालांकि अब इतना सबकुछ होने के बावजूद पुलिस को ये समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर वो सीरियल गैंगरेप की इस ख़ौफनाक कहानी की तफ्तीश आगे बढ़ाए तो कैसे बढ़ाए, क्योंकि बदमाशों का कुबूलनामा अपनी जगह है. लेकिन हक़ीक़त यही है कि इन मामलों में अब तक पुलिस के पास ऐसी एक भी शिकायत नहीं है, जिसे वो इस गैंग की इस करतूत के साथ जोड़ सके. अब ऐसे में सीरियल गैंगरेप के इन गुनहगारों को सज़ा दिला पाना पुलिस के सामने अपने-आप में एक बड़ी चुनौती है.

45 गैंगरेप के इस मामले को आगे बढ़ाने में. बेशक इंदौर पुलिस के हाथ-पांव फूल रहे हों, लेकिन इंदौर के लोग जानते हैं कि कजलीगढ़ का किला. ऐसी वारदात के लिए कितना बदनाम हो चुका है. अब पुलिस बेशक कजलीगढ़ से गैंगरेप की एक भी शिकायत सामने ना आने की बात कह रही हो, लेकिन लोगों की ज़ुबान से लेकर ब्लॉग तक में कजलीगढ़ क़िले के साथ ये बदनामी चस्पां है.

बदनाम हुआ किला
होलकर राजाओं के दौर में बना कजलीगढ़ का ये क़िला किसी ख़ास जंग का गवाह बना या नहीं, ये अलग बात है. लेकिन किले की दरकती दरो-दीवार और चारोँ ओर हरे-भरे वादियों से घिरा ये खंडहर आज भी सैलानियों को चुंबक की तरह अपनी ओर खींचता है.

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क़िले के साथ ही बना भगवान शंकर का मंदिर और पास ही बहता झरना इसकी खूबसूरती में चार-चांद लगाता है. लेकिन ये कुदरती खूबसूरती और भगवान के मंदिर की मौजूदगी के बावजूद सीरियल गैंगरेप के ये गुनहगार अपनी गुनाहों से बाज़ नहीं आए. अब इंदौर की पुलिस इस मामले में बेशक कोई ख़ास शिकायत नहीं होने की वजह से इन बदमाशों को वॉक ओवर देने की तैयारी कर रही हो, लेकिन दुनिया जानती है कि कजलीगढ़ के आस-पास ऐसे जुर्म आज से नहीं, बल्कि सालों से होते रहे हैं. और तो और कई ब्लॉग्स और यहां तक कि आर्टिकल्स में भी अगर कजलीगढ़ की खूबसूरती का बखान है, तो यहां के नकारात्मक पहलुओं के तौर पर यहां होनेवाले ऐसे गुनाहों का भी जिक्र है.

-इंदौर से राहुल करैया के साथ अमित कुमार, भोपाल

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