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विवाहिताओं के लिए कामाख्या सिंदूर का है खास महत्व

विवाहिताओं के लिए देवी कामाख्या के सिंदूर का अतिविशिष्ट महत्व है. इसे बोलचाल की भाषा में कमिया सिंदूर भी कहा गया है, जो कामरुप कामाख्या क्षेत्र में ही पाया जाता है. इसे आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता है. इसकी प्राप्ति  विशेष तरह के मंत्र के 108 बार जाप से सिद्ध किया जाता है. उसके बाद ही विवाहिताएं इसका इस्तेमाल मनोकमनाओं की पूर्ति के लिए करती हैं.

कामाख्या सिंदूर कामाख्या सिंदूर
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 07 जून 2018,
  • अपडेटेड 12:48 PM IST

विवाहिताओं के लिए देवी कामाख्या के सिंदूर का अतिविशिष्ट महत्व है. इसे बोलचाल की भाषा में कमिया सिंदूर भी कहा गया है, जो कामरुप कामाख्या क्षेत्र में ही पाया जाता है. इसे आसानी से हासिल नहीं किया जा सकता है. इसकी प्राप्ति  विशेष तरह के मंत्र के 108 बार जाप से सिद्ध किया जाता है. उसके बाद ही विवाहिताएं इसका इस्तेमाल मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए करती हैं.

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सदियों से चली आ रही मान्यता और अटूट विश्वास के अनुसार जो कोई कामाख्या सिंदूर का प्रयोग करता है उस पर देवी मां की कृपा बनी रहती है. यह सिंदूर वशीकरण, जादू-टोना, गृह-कलेश, कारोबार में बाधा, विवाह या प्रेम की समस्या या दूसरी तरह की भूत-प्रेत बाधा की समस्याओं को दूर करता है. इसका इस्तेमाल सामान्य तौर पर मांगलिक आयोजनों में किया जाता है.

इस सिंदूर को चांदी की डिब्बी में रखकर मंत्र ‘कामाख्याये वरदे देवी नीलपावर्ता वासिनी! त्व देवी जगत माता योनिमुद्रे नमोस्तुते!! ’का उच्चारण 108 बार करना चाहिए. इसका जाप चुटकी में सिंदूर लेकर 11 या 7 बार शुक्रवार को शुरू कर सात दिनों तक करना चाहिए. मंत्र के उच्चारण के समय हथेली में गंगाजल, केसर, चंदन को मिलाकर माथे पर तिलक लगाना चाहिए. इस जाप को स्त्री या पुरुष किसी के द्वारा भी किया जा सकता है. इसे लगाने का कार्य भी मंत्रोच्चारण के साथ किया जाना चाहिए.

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वह मंत्र हैः- कामाख्याम कामसम्पन्ना कामेश्वरी हरप्रिया द्य

कमाना देहि में नित्य कामेश्वरी नमोस्तुते द्यद्य

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