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युवा सिंधिया पर भारी पड़े कमलनाथ, राहुल ने इस कारण जताया भरोसा

कमलनाथ का नाम काफी समय से मुख्यमंत्री की रेस में आगे चल रहा था, लेकिन युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया से उन्हें टक्कर मिल रही थी. लेकिन राहुल गांधी ने युवा शक्ति के बजाय अनुभव को तवज्जो देना ठीक समझा.

...तो MP में खिलेगा कमल! ...तो MP में खिलेगा कमल!
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 7:47 AM IST

दो दिन के मंथन के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया लेकिन सचिन पायलट के अड़ने से राजस्थान में अशोक गहलोत पर फैसला रुक गया है. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से गहलोत के नाम पर भी मुहर लग चुकी है. लेकिन देर रात बताया गया कि अब राजस्थान के मुख्यमंत्री का फैसला शुक्रवार को होगा.

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कमलनाथ का नाम काफी समय से मुख्यमंत्री की रेस में आगे चल रहा था, लेकिन युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया से उन्हें टक्कर मिल रही थी. लेकिन राहुल गांधी ने युवा शक्ति के बजाय अनुभव को तवज्जो देना ठीक समझा. 

राजस्थान में गहलोत का नाम अटका

गौरतलब है कि गुरुवार दिन में लगभग तय हो गया था कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही होंगे. लगातार चली बैठकों के दौर के बाद अशोक गहलोत का नाम तय किया गया, गहलोत और सचिन पायलट राहुल गांधी से मिले. देर रात भी तकरीबन आधे घंटे तक सचिन पायलट की बात राहुल गांधी से हुई. सूत्रों के मुताबिक सचिन जब राहुल के घर से निकल रहे थे तभी अशोक गहलोत वहां पहुंचे लेकिन दोनों में कोई बातचीत नहीं हुई. ऐसे में माना जा रहा है कि सचिन पायलट अपनी बात पर अड़े हुए हैं इसीलिए राजस्थान में सीएम के नाम का फैसला शुक्रवार को होगा. 

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कमलनाथ ही थे पहली पसंद

कमलनाथ मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, पिछले काफी समय से वह राज्य में कांग्रेस की जीत के लिए पिच तैयार कर रहे थे. 15 साल बाद कांग्रेस का वनवास कमलनाथ की अगुवाई में ही खत्म हो पाया है, हालांकि MP में कांग्रेस बहुमत से दो सीट दूर रही लेकिन सपा-बसपा ने इस चिंता को भी दूर कर दिया.

पिछड़ गए 'महाराज'!

सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की रेस में थे. सिंधिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी रहे हैं जिसका फायदा उन्हें मिलता हुआ दिख रहा था. हालांकि, अनुभव की कमी होना सिंधिया के खिलाफ जाता दिखा. महाराज के नाम से मशहूर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश के मुकाबले दिल्ली में अधिक काम किया है. शायद यही कारण रहा कि राहुल ने बतौर मुख्यमंत्री उन्हें नहीं चुना. साफ है कि राहुल गांधी की नजर अब 2019 पर है और वो कमलनाथ के अनुभव का फायदा लेना चाहते हैं.

क्यों खास हैं कमलनाथ? 

शिवराज सिंह चौहान के विपरीत कमलनाथ को एक समृद्ध राजनेता के तौर पर देखा जाता है. कमलनाथ का जन्म कानपुर में हुआ और वह कोलकाता में पले-बढ़े हैं. उनकी पढ़ाई दून स्कूल से हुई है. वह कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक हैं. कमलनाथ पहली बार 1980 में लोकसभा सांसद चुने गए थे. उसके बाद 1985, 1989, 1991 तक लगातार लोकसभा चुनाव जीतते रहे.

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छिंदवाड़ा लोकसभा से 9 बार सांसद रह चुके कमलनाथ ने राज्य में कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाई है. वह पिछले कई दशकों से राज्य में जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं और यहां उनका मजबूत जनाधार भी है.

 

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