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MP रियलिटी चेक: वादों को लेकर कमलनाथ सरकार का अब तक का रिपोर्ट कार्ड

ज्योतिरादित्य सिंधिया एक साल में वादे पूरे नहीं करने के लिए कमलनाथ सरकार को लगातार घेर रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सिंधिया पर सार्वजनिक तौर पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे. कमलनाथ का कहना है कि वादों को पूरा करने की दिशा में राज्य सरकार ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.

कमलनाथ सरकार को लगातार घेर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो) कमलनाथ सरकार को लगातार घेर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया (फाइल फोटो)
हेमेंद्र शर्मा
  • भोपाल ,
  • 18 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST

  • 10 अहम चुनावी वादों को बनाया आधार
  • आपस में उलझे हैं कमलनाथ-सिंधिया

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस ने अपने दो बड़े चेहरों के तौर पर कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्य के लोगों के सामने पेश किया. अब यही दो चेहरे पिछले कुछ समय से जुबानी तकरार में उलझे हुए हैं. मुद्दा है चुनाव घोषणापत्र में जो कांग्रेस ने वादे किए थे, उन पर कमलनाथ सरकार के एक साल के राज में कितना काम हुआ.

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सिंधिया एक साल में वादे पूरे नहीं करने के लिए कमलनाथ सरकार को लगातार घेर रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ भी सिंधिया पर सार्वजनिक तौर पर निशाना साधने से नहीं चूक रहे. कमलनाथ का कहना है कि वादों को पूरा करने की दिशा में राज्य सरकार ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं.  

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क्या चुनावी घोषणापत्र के वादे ही असल में कमलनाथ और सिंधिया के बीच जुबानी जंग की वजह हैं?  या ये दोनों नेताओं के बीच सियासी सर्वोच्चता की लड़ाई है?  वो लड़ाई जो अब खुलेआम सड़कों पर आ गई है. इस सियासी रस्साकशी की तह तक पहुंचने के लिए इंडिया टुडे ने कांग्रेस चुनाव घोषणा पत्र में किए गए 10 अहम वादों पर हुए अमल का रियलिटी चेक करने का फैसला किया.  

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1- किसान कर्ज माफी

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में 15 साल बाद वापस लाने में किसानों के कर्ज माफी के वादे ने बड़ी भूमिका निभाई थी. घोषणापत्र में कहा गया था कि सभी किसानों के 2 लाख रुपए तक के कर्जे माफ कर दिए जाएंगे. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तब चुनावी सभाओं में यहां तक कहा था कि अगर कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के 10 दिन बाद इस वादे को पूरा नहीं किया तो मुख्यमंत्री को बदल दिया जाएगा.   

अब क्या है स्थिति?

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद कर्ज माफी के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए थे. पार्टी का दावा है कि 21 लाख किसानों के 50,000 रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक के कर्ज कुछ ही महीनों में माफ कर दिए गए. पार्टी को उम्मीद थी कि 2019 लोकसभा चुनाव में उसे इस योजना का लाभ मिलेगा लेकिन उस चुनाव में बीजेपी मतदाताओं को ये संदेश देने में कामयाब रही कि कांग्रेस की कर्ज माफी योजना सिर्फ कागजी थी और किसानों को कुछ नहीं मिला.

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सिंधिया ने भी किसानों की बेहाली का मुद्दा उठाया लेकिन राज्य सरकार की ओर से इसकी अनदेखी करते हुए कहा गया कि सब कुछ ठीक ट्रैक पर है. इस दावे के विपरीत 2019 लोकसभा चुनाव में आए नतीजों में बीजेपी को मध्य प्रदेश की 29 में से 28 पर जीत हासिल हुई. अब कमलनाथ सरकार दावा कर रही है कि कर्ज माफी का दूसरा चरण लाने की तैयारी है जिसमें 12.56 लाख किसानों के दो लाख रुपए तक के कर्ज माफ किए जाएंगे.

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2- किसानों के लिए बिजली के दाम आधे

एक हार्सपॉवर तक खपत की जाने वाली बिजली के दाम 1400 रुपए से घटा कर 700 रुपए कर दिए गए हैं.

3- गेंहू की खरीद पर बोनस

सरकार ने गेंहू उत्पादकों को एक टन पर 150 रुपये बोनस देने का वादा किया था, लेकिन इस पर अमल नहीं कर पाई और इसके लिए संसाधनों की कमी का हवाला दिया. कमलनाथ सरकार बचाव में कहती है कि उसकी ऐसी मंशा थी, लेकिन हमारे बोनस के ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने अपने हिस्से का खरीदा हुआ गेंहू लेने से इनकार कर दिया.

4- दूध उत्पादन पर प्रति लीटर 5 रुपये का बोनस

लगता है कि कांग्रेस को अब याद भी नहीं कि ऐसा कोई वादा किया गया था.

5- पेट्रोल और डीजल कीमतों में राहत

राज्य सरकार इस वादे को भी भूल गई है. असल में राज्य सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर सितंबर 2019 में 5% का अतिरिक्त वैट लगाया गया. साथ ही इसकी वजह भारी बारिश से हुए नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाना बताया. मध्य प्रदेश में इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतें देश में सबसे ज़्यादा हो गई हैं.

6- हर गांव में खोली जाएगी गोशाला

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इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए. सरकार का दावा है कि काम प्रगति पर है और कॉरपोरेट जगत की मदद से 100 मॉडल गोशालाएं राज्य भर में खुलने जा रही हैं.

7- सूचना प्रोद्यौगिकी में एक लाख युवकों को रोजगार

लगता है कि इस दिशा में अभी कोई कदम नहीं उठाया गया है. जहां रोजगार के कोई नए अवसर सामने नहीं आए, वहीं पहले से मौजूद रोजगारों में भी कमी आ रही है.

8- स्कूल-कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स/फेकल्टी को रेग्युलर करना

लगता है सरकार इस वादे से पीछे हट रही है क्योंकि स्कूलों के गेस्ट टीचर्स और कॉलेजों के गेस्ट फैकल्टी हड़ताल पर हैं. बता दें कि बीते हफ्ते टीकमगढ़ में इन टीचर्स के प्रतिनिधिमंडल ने सिंधिया से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया था. सिंधिया इस वादे पर भी कमलनाथ सरकार पर निशाना साध चुके हैं.

9- लड़कियों की शादी पर 51,000 रुपये

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आर्थिक रुप से कमजोर परिवारों की लड़कियों की शादी पर 51,000 रुपये देने के वादे पर कमलनाथ सरकार का दावा है कि इस वादे को सत्ता मे आते ही कुछ दिनों में पूरा कर दिया गया था. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार के दौरान इसके लिए 25,000 रुपये दिए जाते थे, जिसे बढ़ाकर कमलनाथ सरकार ने 51,000 रुपये करने का ऐलान किया था.

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अब क्या है स्थिति?

ये घोषणा सिर्फ घोषणा ही बन कर रह गई. नवविवाहिताओं को वो रकम भी नहीं मिली जो पिछली सरकार के दौरान दी जा रही थी. कमलनाथ सरकार का दावा है कि जो भी इस योजना में हकदार हैं उन्हें जल्दी ही ये राशि दी जाएगी. फिलहाल संसाधनों की कमी की वजह से भुगतान रुका हुआ है.

10- नर्सरी से पीएचडी तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा

कांग्रेस ने नर्सरी से पीएचडी तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा के अलावा 12वीं में 70% से अधिक अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को दुपहिया वाहन के लिए ब्याज सब्सिडी देने के वादे भी किए थे.

अब क्या है स्थिति?

इनमें से किसी भी वादे पर काम नहीं हुआ है. कमलनाथ सरकार का दावा है कि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इन वादों पर अमल हो जाएगा.

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