कर लीजिए मनोकामनाओं की कंजक पूजा

मां की मोहनी मूरत, उनकी शक्ति, उनकी भक्ति में डूबे रहने के बाद पूजा का महाफल पाने का अब समय आ गया है. इस बार मां के महायज्ञ में आखिरी आहुति डाल, मां के सामने हृदय खोलकर रख दीजिएगा. शनिवार को अपनी इच्छाओं, अपने सपनों को मां से बांट लीजिएगा. क्योंकि यही वो दिन है जब आपकी तपस्या रंग लाएगी और मनचाहा फल मिलेगा.

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aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 11 अक्टूबर 2013,
  • अपडेटेड 5:55 PM IST

मां की मोहनी मूरत, उनकी शक्ति, उनकी भक्ति में डूबे रहने के बाद पूजा का महाफल पाने का अब समय आ गया है. इस बार मां के महायज्ञ में आखिरी आहुति डाल, मां के सामने हृदय खोलकर रख दीजिएगा. शनिवार को अपनी इच्छाओं, अपने सपनों को मां से बांट लीजिएगा. क्योंकि यही वो दिन है जब आपकी तपस्या रंग लाएगी और मनचाहा फल मिलेगा.

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‘दुर्गाष्टमी’ शक्ति पूजा की सबसे महत्वपूर्ण नवरात्र, मां महागौरी की आराधना का दिन है और कंजक पूजन कर नवरात्र की पूजा के विधि विधान से समापन का दिन भी है. नौ दिन से व्रत रखकर शक्ति की उपासना करने वाले भक्तों में कुछ लोग अष्टमी को तो कुछ लोग नवमी को अपने व्रत का समापन करते हैं. कहते हैं जो कोई भक्त मां का आशीर्वाद पाने में सफल होता है उसकी झोली भरते देर नहीं लगती.

अगर अष्टमी के दिन की बात करें तो इस बार अष्टमी शनिवार को आ रही है शुरुआत पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में होगी, लेकिन सुबह 7 बजकर 48 मिनट पर उत्तराषाढ़ नक्षत्र आरंभ हो जाएगा. इन दोनों ही नक्षत्रों में भगवती की पूजा भक्तों के जीवन को चमकाने वाली साबित हो सकती है. अंधेरे से छुटकारा दिलाने वाली साबित हो सकती है. इसी दिन गजकेसरी योग का निर्माण भी हो रहा है, जिसके कारण यदि आप धन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपकी परेशानियों का अंत होने का समय आ गया है.

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भगवती के साथ पीले धातु के बने श्रीयंत्र की पूजा सोने पर सुहागा की स्थिति बनाएगी और जातकों के लिए आर्थिक स्त्रोतों की राह खोल देगी. इस नक्षत्र की अष्टमी भक्तों को मनचाहा जीवनसाथी पाने में सहायता करती है तो वहीं अच्छे स्वास्थ्य की संजीवनी भी प्रदान करती है. अगर आप संतान सुख से वंचित हैं या फिर संतान की चिंता आपको सता रही है तो संतान संबंधी समस्त समस्याओं से मुक्ति मिलेगी और राह से सभी रोड़े हट जाएंगे.

शनिवार को आने की वजह से यदि जातक अष्टमी की रात्रि सूक्तम व दुर्गा सप्तशती के तृतीय चरित्र का पाठ कर अगले 151 दिन तक लगातार करें तो साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव झेल रहे जातकों को राहत की सांस मिलेगी. जहां एक तरफ नए काम, व्यापार के शुरू करने का योग बनेगा, वहीं डूबा या रुका हुआ धन पाने की राह खुलेगी.

अष्टमी पर जितना महत्व मां की आराधना का है उतना ही कंजक पूजन यानी कन्या पूजन का भी है. ये मान्यता है कि कन्या पूजन से मां बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को कल्याण करती हैं.

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