Advertisement

कांकेर में करोड़ों का चावल घोटाला, अफसर खा गए गरीबों का हिस्सा

छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है.  इस जिले में आदिवासियों की आबादी सर्वाधिक है. ज्यादातर परिवार बीपीएल के दायरे में आते हैं. आदिवासी परिवारों को सस्ता अनाज मुहैया हो सके, इसके लिए गांव-गांव में राशन दुकाने खोली गई हैं.

चावल घोटाला चावल घोटाला
वंदना भारती/सुनील नामदेव
  • रांची,
  • 19 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

छत्तीसगढ़ का कांकेर जिला पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है.  इस जिले में आदिवासियों की आबादी सर्वाधिक है. ज्यादातर परिवार बीपीएल के दायरे में आते हैं. आदिवासी परिवारों को सस्ता अनाज मुहैया हो सके, इसके लिए गांव-गांव में राशन दुकाने खोली गई हैं.

नक्सल प्रभावित इलाका होने के चलते अफसर सरकारी योजनाओं का जायजा लेने के लिए कभी कभार ही यहां दस्तक देते हैं. आते भी हैं तो औपचारिकता पूरी कर उल्टे पांव लौट जाते हैं.  आला अफसरों की लापरवाही का स्थानीय अफसरों ने ऐसा फायदा उठाया कि छत्तीसगढ़ सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ गई.

Advertisement

खाद्य विभाग के स्थानीय अफसरों ने साल भर से चावल आपूर्ति की बोगस एंट्री की. उन्होंने करीब डेढ़ हजार क्विंटल टल चावल खुले बाजार में बेचकर पूरी रकम अपने जेब में डाल ली. राशन दुकानों के कर्मियों से साठगांठ कर अफसरों ने चावल आपूर्ति का ब्यौरा भी सरकारी रजिस्टरों में दर्ज किया. लेकिन चावल की आपूर्ति ना तो ग्रामीणों तक हुई और ना ही राशन दुकानों तक.  

मामले का खुलासा उस समय हुआ जब सैकड़ों की तादाद में ग्रामीणों ने चावल मुहैया ना होने की शिकायत जन प्रतिनिधियों से की. प्राथमिक जांच में चावल की अफरा-तफरी सामने आने पर राज्य सरकार ने मामले की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं.   

खाद्य विभाग की प्रमुख सचिव ऋचा शर्मा ने इस चावल घोटाले की जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी गठित की है. छत्तीसगढ़ विधानसभा मंगलवार से शुरू हुई है. सत्र के पहले दिन ही इस सुनियोजित घोटाले के उजागर होने से सत्ताधारी बीजेपी सकते में है. जबकि कांग्रेस को उस पर हमला करने के लिए अच्छा खासा मुद्दा मिल गया है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement