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कानपुर किडनैपिंग-मर्डर केस: आरोपियों ने लिए थे तीन सिम, परिजन-पुलिस की गतिविधि पर थी नजर

कानपुर के लैब असिस्टेंट संजीत यादव के अपहरण और हत्या के मामले में नया खुलासा हुआ है. पुलिस के मुताबिक, संजीत यादव का अपहरण करने से पहले ही शातिरों ने पुलिस से बचने के लिए तीन सिम खरीदे थे.

संजीत यादव (फाइल फोटो) संजीत यादव (फाइल फोटो)
शिवेंद्र श्रीवास्तव
  • लखनऊ,
  • 31 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 11:13 AM IST

कानपुर के लैब असिस्टेंट संजीत यादव के अपहरण और हत्या के मामले में नया खुलासा हुआ है. पुलिस के मुताबिक, संजीत यादव का अपहरण करने से पहले ही शातिरों ने पुलिस से बचने के लिए तीन सिम खरीदे थे. एक ही फर्जी आईडी पर तीन सिम खरीदे गए. संजीत की कॉल डिटेल से मिले नंबर और परिजनों के फोन पर आने वाली फिरौती की कॉल से यह पता लगा.

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मुख्य आरोपी कुलदीप गोस्वामी ने ही फर्जी आईडी पर लिए गए सिम के नंबर से 22 जून की रात संजीत को फोन कर मौज-मस्ती का लालच देकर बुलाया था. बुलाने के बाद रतनलाल नगर में किराये के मकान में संजीत को बंधक बनाकर रखा गया. रामादेवी इलाके में संजीत की बाइक को ईशु ने ठिकाने लगाया.

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रिमांड पर लिए गए आरोपी पनकी कच्ची बस्ती निवासी कुलदीप ने पुलिस को बताया कि नीलू के दोस्त चीता ने तीनों सिम व मोबाइल की व्यवस्था चकरपुर मंडी के पास स्थित मोबाइल की दुकान से कराई थी. बीती 22 जून को संजीत का अपहरण करने के बाद एक सिम सिम्मी को सौंप दिया गया था. वह सचेंडी में संजीत के घर के पास का ही रहने वाला है.

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परिजनों और पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सिम्मी को लगाया गया था, ताकि किसी को उस पर शक न हो. सिम्मी ही कुलदीप के पास रहे फर्जी आईडी के नंबर पर ही कॉल कर सारी जानकारियों उपलब्ध करा रहा था. पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही है.

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हालांकि, पुलिस ने फैसला किया है कि हत्याकांड के आरोपियों का नार्को टेस्ट कराया जाएगा. इस मामले के तीन हत्यारोपी ज्ञानेंद्र यादव, कुलदीप गोस्वामी और नीलू सिंह 48 घंटे की पुलिस कस्टडी में है. ये लोग पूछताछ में बार-बार बयान बदल रहे हैं. हत्या का एक आरोपी रामजी शुक्ला कोरोना पॉजिटिव है. उससे 14 दिन बाद पूछताछ की जाएगी.

पुलिस सभी आरोपियों को अलग-अलग बैठाकर भी पूछताछ कर चुकी है, लेकिन सभी बार-बार अलग-अलग बातें बता रहे हैं. लिहाजा पुलिस इन लोगों से पूरा सच जानने के लिए नार्को टेस्ट करवाना चाहती है. इस मामले मे बर्रा के निलंबित थानाध्यक्ष की भूमिका भी संदिग्ध है.

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