
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पेशे से वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई 2019 चुनाव तक टालने की दलील क्या दी, बीजेपी ने इसको मुद्दा बना लिया. खुद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राहुल गांधी से राम मंदिर मुद्दे पर स्टैंड साफ करने को कह दिया. साथ ही गुजरात चुनाव में मंदिर मंदिर मत्था टेक रहे राहुल को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की.
कांग्रेस समझ गई है कि भले ही सिब्बल ने कोई तकनीकी गलती नहीं की हो, लेकिन बीजेपी ने इस मुद्दे को जिस तरह उठाया है, उससे सियासी नुकसान हो सकता है. इसके बाद कांग्रेस से खासी कोशिश हुई कि कपिल सिब्बल खुद सफाई दें और अपना पक्ष रख कर BJP को जवाब दें. लेकिन सिब्बल ने साफ कर दिया कि ‘बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेवजह के मुद्दे को हवा दे रहे हैं, तूल दे रहे हैं, उसके ट्रैप में मैं आने वाला नहीं, कांग्रेस क्यों आ रही है, यह मेरी समझ में नहीं आता.
सिब्बल का तर्क है कि आजादी के बाद से अब तक वकीलों का इतिहास उठाया जाए तो पता चल जाएगा कि वकीलों ने तमाम केस लड़े हैं, जिसको लेकर सवाल खड़े किए जा सकते हैं. लेकिन वकील का काम केस लड़ना है. सिब्बल ने उदाहरण दिया कि भोपाल गैस त्रासदी के मामले में अरुण जेटली ने डाउ केमिकल का केस लड़ा था. इसके अलावा राम जेठमलानी इंदिरा गांधी के हत्यारों के बचाव में केस लड़े थे.
सिब्बल का कहना है कि ऐसे में बेवजह उन्हें उलझाया जा रहा है, जो सही नहीं है. सिब्बल के साथ ही कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी जो पेशे से खुद भी वकील ही हैं, साफ कर चुके हैं कि वकालत उनका पेशा है. उसका राजनीति से या फिर कांग्रेस पार्टी से कोई लेना देना नहीं है. इसलिए इस मामले में केस लड़ते हैं या वकालत करते हैं, उस पर वह जनता में कोई टिप्पणी नहीं करते.
पेशे से जुड़ी कोई भी दलील हो, लेकिन गुजरात में मतदान सिर पर हैं. ऐसे में सियासी नफा-नुकसान के हर एंगल पर भी विचार किया जाता है. सिब्बल अपनी बात पर अड़े रहे और कांग्रेस मजबूरन आनंद शर्मा और कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला की प्रेस कॉन्फ्रेंस करा कर मामले को निपटाने की कोशिश करती रही. पर मामला तब और आगे बढ़ गया, जब अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस पूरे मामले को खुद उठा दिया. कांग्रेस ने फिर सिब्बल से संपर्क किया कि वह अपनी बात खुद कह दे, लेकिन सिब्बल ने यही कहा कि उन्होंने कोई गलती नहीं की. सिब्बल बोले कि वकालत उनका पेशा है जो वो करते रहे हैं.
कांग्रेस की ओर से आनंद शर्मा को दोपहर दो बजे और शाम 4 बजे रणदीप सुरजेवाला को गुजरात में बचाव में उतार दिया. हालांकि कांग्रेस ये जानती है कि मामला खुद सिब्बल का है तो आनंद शर्मा हों या सुरजेवाला, उनके सफाई देने से मामला शांत होने वाला नहीं.
इसी बीच, कांग्रेस नेताओं ने आलाकमान को बता दिया कि कहीं ऐसा ना हो यह ताजा विवाद साल 2002 के गोधरा कांड और 2007 का ‘मौत का सौदागर’ वाले बयान की तर्ज पर कांग्रेस को चुनावी नुकसान करा दे. इसी के बाद आलाकमान और राहुल गांधी की टीम ने कपिल सिब्बल को समझाने की कोशिश की कि आप खुद बोले जो हो सके वह बोले, लेकिन अब आपका बोलना जरूरी है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के निशाना साधने के जब 24 घंटे पूरे हो चुके थे तो सिब्बल ने पूरे मीडिया से बात करने की जगह सिर्फ एजेंसी को बुलाया और अपना तैयार किया हुआ बयान सामने रख दिया. शायद ये सिब्बल का धर्मसंकट था, जो बता रहा था कि सिब्बल खुद तो सहमत नहीं थे, लेकिन कांग्रेस को हो सकने वाली परेशानी से बचाने के लिए उनको बयान देने पर मजबूर होना पड़ा.