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करीना कपूरः रुलाना आसान मगर हंसाना मुश्किल

गुड न्यूज आईवीएफ के बारे में है. यह सीरियस टॉपिक है. फिल्म के शुरू में कॉमेडी है. मगर सेकंड हाफ बहुत ही इमोशनली हो जाती है फिल्म. प्रेग्नेंट होने का एहसास नेचुरल था. पेट का प्रोस्थेटिक लंदन से बनाकर मंगाया गया था. यह तीन महीने, छह महीने और नौ महीने का था. जब स्क्रीन पर देखेंगे तो यह बहुत ही नेचुरल लगता है.

करीना कपूर करीना कपूर
नवीन कुमार
  • ,
  • 23 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 6:28 PM IST

चमेली के बाद प्रयोगवादी फिल्मों से दूरी बनाए रखने की वजह?

मैंने कमर्शियल इशू पर एक्सपेरिमेंट करने पर जोर दिया. उनमें जब वी मेट के अलावा बड़े बजट की कई फिल्में भी हैं. शादी के बाद मैंने कैरेक्टर चूज किए और गुड न्यूज भी उसी में से एक है.

गुड न्यूज में विषय गंभीर है. इसमें कॉमेडी है. प्रेग्नेंट होने का एहसास कितना नेचुरल था?

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गुड न्यूज आईवीएफ के बारे में है. यह सीरियस टॉपिक है. फिल्म के शुरू में कॉमेडी है. मगर सेकंड हाफ बहुत ही इमोशनली हो जाती है फिल्म. प्रेग्नेंट होने का एहसास नेचुरल था. पेट का प्रोस्थेटिक लंदन से बनाकर मंगाया गया था. यह तीन महीने, छह महीने और नौ महीने का था. जब स्क्रीन पर देखेंगे तो यह बहुत ही नेचुरल लगता है.

कॉमेडी करना कितना आसान है?

लोगों को रूलाना बहुत आसान है, हंसाना बहुत मुश्किल है. अक्षय कुमार तो इस आर्ट में मास्टर हैं. हालांकि, मैंने भी काफी कॉमेडी की है. मेल डोमिनेटेड फिल्म गोलमाल में मेरे कैरेक्टर का सबसे अच्छा कॉमेडी था. कभी खुशी कभी गम में भी पू का कैरेक्टर कॉमिक था. मैं लकी हूं कॉमेडी के लिए. गुड न्यूज में सिचुएशनल कॉमेडी है.

भारतीय समाज में महिलाएं ही महिलाओं पर बच्चे पैदा करने के लिए दबाव डालती हैं. आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

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फिल्म में तो ऐसा कुछ नहीं है. हां, हमारी सोसायटी में कुछ पुराने ख्यालात के लोग हैं जो महिलाओँ पर इस तरह का दबाव डालते हैं. लेकिन आजकल हम औरतें काम कर रहे हैं. सात-आठ महीने की गर्भवती महिलाएं भी काम पर जा रही हैं. इससे लगता है कि उनके फैसले बदल रहे हैं और सोसायटी में भी बदलाव आ रहा है.

आज के अक्षय कुमार के बारे में क्या कहेंगी?

अक्षय कुमार का जो फेज चल रहा है वो अमिताभ बच्चन की तरह है. उनका गोल्डन पीरियड चल रहा है. इस पोजीशन के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है. आज उनसे कोई बेहतर ऐक्टर नहीं है. हमारा रिश्ता तो तीस साल पुराना है.

नाम शबाना, मुल्क जैसी आज के दौर की फिल्मों का हिस्सा बनना चाहती हैं आप?

हां, मैं भी करना चाहती हूं. लेकिन मुझे थ्रिलर में ज्यादा इंट्रेस्ट है. मैंने तलाश के बाद थ्रिलर जोनर किया नहीं है. ऐसी फिल्म मैं पहले करना चाहती हूं.

ऐतिहासिक फिल्मों में आपकी दिलचस्पी है?

मैं एक फिल्म कर रही हूं जो मुगल साम्राज्य पर आधारित है. दारा शिकोह और औरंगजेब पर बन रही है. इसमें मैं जहां आरा का कैरेक्टर निभा रही हूं. मुगल इतिहास में जहां आरा का कैरेक्टर सबसे महत्वपूर्ण है. उस जमाने में शाहजहां ने जो भी फैसले लिए वो जहां आरा से पूछकर लिए थे.

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आप दो दशक से इंडस्ट्री पर राज कर रही हैं?

मुझे नहीं लगता कि किसी हीरोइन का इतना लंबा करियर चला है. हमारे इंडिया में नहीं हुआ है कभी. हम ज्यादातर हॉलीवुड में देखते हैं कि शादी के बाद, बच्चे के बाद हीरोइऩ अपनी पोजीशन में रहती हैं. इसके लिए खुद को दोबारा तैयार करना और अपने आप में विश्वास रखना जरूरी है.

आपकी नजर में सैफ अली खान एक ऐक्टर और एक पति के रूप में कैसे हैं?

सैफ अली खान एक ग्रेट ऐक्टर हैं. 25 साल से वो कमर्शियल फिल्मों में काम कर रहे हैं. उन्होंने कभी बॉक्स ऑफिस की चिंता नहीं की. वो फिल्मों को लेकर अलग तरह से सोचते हैं. वो एक अच्छे पति के साथ अच्छे इंसान भी हैं. उन्होंने कभी मेरे साथ मेरी फिल्मों के बारे में चर्चा नहीं की. वो हमेशा पूछते हैं कि मैं कब घर आ रही हूं ताकि मैं, सैफ और तैमूर ज्यादा से ज्यादा समय साथ रह सकें. मैं भी अपने काम और फैमिली लाइफ में संतुलन रखती हूं.

लड़कियों की सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं. आप क्या सोचती हैं?

देश में महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा सवाल है. कुछ लोग कहते हैं कि लड़कियां रात में अकेली न निकले, छोटे कपड़े न पहनें. ऐसी लाइफ तो हम लड़कियां नहीं जी सकतीं. महानगरों की बातें तो बाहर आ जाती हैं. लेकिन गांव-गांव में क्या होता होगा, कल्पना कीजिए. हर पहलु पर विचार करने की जरूरत है. अगर बचपन से ही लड़के और लड़की के बीच समान व्यवहार हो तो इस दिशा में सकारात्मक बदलाव आ सकता है.

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