
कर्नाटक चुनावों में टीपू सुल्तान एक अहम मुद्दा बना. इस मुद्दे पर राज्य में तीनों प्रमुख पार्टियों बीजेपी, कांग्रेस और जेडीएस ने वोट बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कर्नाटक के मौजूदा जिला श्रृरंगापट्टना, मैसूर, कुर्ग और मैंगलोर की कुल 9 विधानसभा क्षेत्रों को टीपू सुल्तान का क्षेत्र कहा जा सकता है और इनमें से 6 सीटों पर केन्द्र में सत्तारूढ़ बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की. वहीं कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली तो क्षेत्रीय पार्टी जेडीएस को महज एक सीट पर अपने उम्मीदवार के लिए समर्थन मिला.
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 222 में 105 सीटों पर जीत के साथ राज्य की सबसे प्रभावशाली पार्टी बनने का मौका मिला. इन नतीजों के साथ बीजेपी देश के 29 में से 21वें राज्य में सरकार बनाने की संभावना तलाश रही है हालांकि दूसरे नंबर पर बैठी कांग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन करते हुए बीजेपी को सरकार बनाने से रोकने की पहल भी कर दी है.
क्या कर्नाटक चुनावों में टीपू सुल्तान मुद्दा बना? बीते पांच साल के दौरान राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने टीपू सुल्तान को इतिहास के पन्नों से निकाल कर एक राष्ट्रवादी छवि देने की कोशिश की. हालांकि इसके विरोध में केन्द्र में सत्तारूढ़ और राज्य में विपक्ष में बैठी बीजेपी ने इसका जमकर विरोध किया. ऐसी स्थिति में इस सवाल का जवाब कि क्या कर्नाटक के चुनावों में टीपू सुल्तान मुद्दा बना या नहीं का जवाब इन 9 विधानसभा क्षेत्रों वाले जिलों में जनता की वोटिंग से मिलता है.
श्रृरंगापट्टना: इस क्षेत्र में 2004 से लगातार जेडीएस का उम्मीदवार जीत रहा है. इन चुनावों में एक बार फिर जेडीएस के उम्मीदवार रविन्द्र श्रीकान्तइया को जीत मिली है. हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र में सत्ता कांग्रेस और जेडीएस के बीच रही है. टीपू सुल्तान के क्षेत्र में श्रृरंगापट्टना बेहद अहम है. इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों की अच्छी संख्या है और कांग्रेस की टीपू सुल्तान को राष्ट्रीय छवि देने की कोशिश के पक्ष में यह समुदाय खड़ा है. इसके बावजूद कांग्रेस उम्मीदवार को इस सीट पर इस बार जीत हासिल नहीं हो सकी.
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मैसूर: मैसूर वोडेयार वंश का क्षेत्र रहा है. इस क्षेत्र में कुल तीन विधानसभा सीटें कृष्णाराजा, चमाराजा और नरसिंम्हराजा आती है और नरसिंम्हराजा में मुस्लिम वोटर की अच्छी संख्या है. इस सीट पर कांग्रेस की सैत परिवार का वर्चस्व 1999 से कायम है. इन चुनावों में एक बार फिर कांग्रेस के तनवीर सैत को चुना गया है. वहीं मैसूर क्षेत्र की दोनों अन्य सीटों पर 2013 से कांग्रेस के उम्मीदवार जीत रहे थे लेकिन इन चुनावों में दोनों सीट बीजेपी के खाते में गई है.
कूर्ग: टीपू सुल्तान के प्रभाव क्षेत्र में अगला विधानसभा क्षेत्र कूर्ग या कोडागू है. कर्नाटक के इस पहाड़ी इलाके की अर्थव्यवस्था कॉफी प्लानटेशन पर निर्भर है. इस जिले में दो विधानसभा क्षेत्र हैं- विराजपेट और मादिकेरी. इन दोनों सीटों पर बीते 15 साल से बीजेपी का वर्चस्व रहा है और एक बार फिर दोनों ही सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली है.
मैंगलुरू: टीपू सुल्तान के प्रभाव क्षेत्र में आखिरी जिला मैंगलुरू है. इस जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं- मैंगलुरू सिटी नॉर्थ, मैंगलुरू सिटी साउथ और मैंगलुरू है. इन तीनों सीटों को कांग्रेस का मजबूत किला माना जाता था क्योंकि 2013 से लगातार कांग्रेस का वर्चस्व इन तीनों सीटों पर रहा है. हालांकि इन चुनावों में बीजेपी ने इसे भेदने का काम किया और मैंगलुरू सिटी नॉर्थ के साथ-साथ मैंगलुरू सिटी साउथ की सीट पर बीजेपी उम्मीदवार जीत गए जबकि मैंगलुरू सीट को बचाने में कांग्रेस सफल हुई है.