
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मतदान में महज पांच दिन का समय बाकी है. कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबला है. जबकि जेडीएस किंगमेकर की भूमिका के लिए जद्दोजहद कर रही है. बीजेपी बीएस येदियुरप्पा के चेहरे के सहारे कर्नाटक में कमल खिलाने की आस लगाए हुए है. येदियुरप्पा के साथ-साथ बीजेपी और संघ का भी मजबूत गढ़ माने जाने वाला इलाका तटीय कर्नाटक (कोस्टल क्षेत्र) है.
कर्नाटक में बीजेपी और आरएसएस की हिंदुत्व की प्रयोगशाला इसी कोस्टल बेल्ट में है. तटीय कर्नाटक इलाके में पिछले चुनाव में येदियुरप्पा की बगावत का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा था. वहीं कांग्रेस को इसी का फायदा मिला था. अब जब येदियुरप्पा फिर बीजेपी के लिए खेवनहार बने हुए हैं और पार्टी हिंदुत्व की सियासी बिसात बिछाने में जुटी है. ऐसे में तटीय कर्नाटक क्षेत्र में चुनावी मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
तटीय कर्नाटक क्षेत्र के तहत मंगलुरू, उडुपी और करवार चिकमंगलुर जिले की करीब 20 विधानसभा सीटें आती है. केंद्र सरकार में मंत्री और कर्नाटक बीजेपी के फायरब्रांड नेता अनंत कुमार हेगड़े करवार जिले से आते हैं. पांच बार के सांसद हेगड़े की पहचान राज्य में हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर है.
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को येदियुरप्पा का अलग होकर चुनाव लड़ना महंगा पड़ा था. पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा था. कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के इस मजबूत दुर्ग से 13 सीटें मिली थी. जबकि बीजेपी को महज 3 सीटें मिली थी.
वोट शेयर के मामले में कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले थे. जबकि बीजेपी को 34 फीसदी, जेडीएस को 9 और अन्य को 13 फीसदी वोट मिले थे.
विधानसभा चुनाव के एक साल के बाद ही 2014 में हुए लोकसभा के चुनाव में येदियुरप्पा की बीजेपी में वापसी हुई तो पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही बेहतर रहा. पार्टी के कोस्टल क्षेत्र में करीब 55 फीसदी वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 3 फीसदी वोट का नुकसान उठाना पड़ा और उसे 40 फीसदी वोट मिले. जेडीएस का पूरा वोट ही खिसककर बीजेपी के पास चला गया. जेडीएस को महज 0.3 फीसदी वोट मिले.
2014 के मतदान पैटर्न को विधानसभा क्षेत्र के मद्देनजर देखा जाए तो बीजेपी 17 विधानसभा सीटों पर आगे रही, जबकि कांग्रेस केवल 3 सीटों पर आगे रही है. बीजेपी लोकसभा की तर्ज पर विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन दोहराने के बेताब है. यही वजह है कि अनंत हेगड़े से लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक हिंदुत्व का कार्ड खुलेआम खेल रहे हैं.
कांग्रेस के लिए पिछले चुनाव के नतीजों को दोहराना काफी मुश्किल हैं. यही वजह है कि सिद्धारमैया दक्षिणी कर्नाटक के साथ-साथ उत्तर कर्नाटक की सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं. इसके जरिए वे दोनों क्षेत्रों को साधने की कोशिश में लगे हैं.