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मंड्या विधानसभा सीटः जेडीएस और कांग्रेस में है कांटे की टक्कर

मंड्या विधानसभा सीट देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के प्रभाव वाली मानी जाती है. इस सीट को कांग्रेस के कब्जे से छीनने के लिए जेडीएस ने एम श्रीनिवास पर दांव लगाया है. वहीं बीजेपी के टिकट पर एन शिवन्ना उम्मीदवार हैं. वे हाल ही में जेडीएस का साथ छोड़कर बीजेपी में आए हैं.

एम श्रीनिवास जेडीएस उम्मीदवार एम श्रीनिवास जेडीएस उम्मीदवार
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 11 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST

कर्नाटक के ओल्ड मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस और जेडीएस के बीच कांटे का मुकाबला है. कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के संग आए एसएम कृष्णा के सहारे पार्टी यहां जीत की उम्मीद लगाए है. मंड्या विधानसभा सीट एसएम कृष्णा के इलाके में आती है, लेकिन इस पर दबदबा जेडीएस का है. कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक मशहूर कन्नड़ फिल्म अभिनेता अंबरीष की जगह रविकुमार गौड़ा को यहां से मैदान में उतारा है.

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मंड्या विधानसभा सीट देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस के प्रभाव वाली मानी जाती है. इस सीट को कांग्रेस के कब्जे से छीनने के लिए जेडीएस ने एम श्रीनिवास पर दांव लगाया है. वहीं बीजेपी के टिकट पर एन शिवन्ना उम्मीदवार हैं. वे हाल ही में जेडीएस का साथ छोड़कर बीजेपी में आए हैं.

मंड्या सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं

जेडीएस के दबदबे वाली मंड्या विधानसभा सीट पर 2013 में कांग्रेस ने कन्नड़ फिल्म अभिनेता अंबरीष के जरिए जीत हासिल की थी. खराब सेहत के चलते वे इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतरे हैं. हालांकि अंबरीष चुनाव तो जीत गए थे, लेकिन कहा जाता है कि वे अभिनेता के स्टारडम से बाहर नहीं निकल सके थे. ऐसे में उन्हें चुनाव में हार का डर सता रहा था. उनकी गैरमौजूदगी में मंड्या सीट पर कांग्रेस का दूसरे उम्मीदवार को उतारना क्षेत्रीय लोगों की नाराजगी दूर करने वाला कदम माना जा रहा है.

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2013 के विधानसभा चुनाव में मंड्या सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अंबरीष को 90 हजार 329 वोट मिले थे. वहीं जेडीएस उम्मीदवार एम श्रीनिवास महज 47 हजार 392 वोट हासिल कर सके थे. इस तरह अंबरीष ने 42 हजार 937 वोटों से जीत हासिल की थी.

माना जा रहा है कि अंबरीष को लेकर नाराजगी का फायदा जेडीएस के एम श्रीनिवास को होगा. वे दो बार पहले भी विधायक रह चुके हैं. दूसरी ओर कांग्रेस के रविकुमार गौड़ा किसानों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक मतों से सहारे हैं. ये सीट वोक्कालिगा बहुल है.  बीजेपी से उतरने वाले शिवन्ना पीएम नरेंद्र मोदी और एसएम कृष्णा के नाम पर जीत का परचम लहराना चाहते हैं.

मंड्या सीट का इतिहास

मंड्या विधानसभा सीट वोक्कालिगा समुदाय बहुल मानी जाती है. 1957 में हुए पहले चुनाव में ही निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीएस बोम्मे गौड़ा ने यहां से जीत हासिल की थी. 1957 से लेकर अब तक 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं जिनमें से कांग्रेस महज 5 बार जीत सकी है. बाकी चुनावों में दूसरी पार्टी ने जीत हासिल की है. इनमें 3 बार जनता पार्टी, 2 बार जेडीएस, 2 बार निर्दलीय, एक बार जनता दल और 1 बार एजीपी ने जीत हासिल की है.

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