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लंदन में मोदी का लिंगायत कार्ड, कर्नाटक चुनाव पर नजर, बंगलुरु में शाह संभालेंगे मोर्चा

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की सियासी जंग फतह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंदन से तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बंगलुरु से लिंगायत कार्ड खेलने की रणनीति बनाई है. 

पीएम नरेंद्र मोदी लिंगायत समाज सुधारक बासवन्ना को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी लिंगायत समाज सुधारक बासवन्ना को श्रद्धांजलि देते हुए
लवीना टंडन
  • लंदन ,
  • 18 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 10:04 AM IST

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की सियासी जंग फतह करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस और सीएम सिद्धारमैया ने राज्य के किंगमेकर माने जाने वाले लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देकर मास्टरस्ट्रोक चला, तो वहीं बीजेपी भी अपने परंपरागत लिंगायत वोट को साधने के लिए की कोशिशों में लगी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंदन से तो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बंगलुरु से लिंगायत कार्ड खेलने की रणनीति बनाई है.  

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12 वीं सदी लिंगायत समुदाय के दार्शनिक और सबसे बड़े समाज सुधारक बासवन्ना की आज जयंती है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तहत बीजेपी इस मौके को अपने हाथों से निकलने नहीं देना चाहती है. पीएम मोदी ने लंदन से ट्वीट करके कहा, मैं भगवान बसवेशेश्वर की जयंती के मौके पर नमन करता हूं. हमारे इतिहास और संस्कृति में उनका विशेष स्थान है. सामाजिक सद्भाव, भाईचारा, एकता और सहानुभूति पर उनका जोर हमेशा हमें प्रेरणा देता है. भगवान बसवेशेश्वर ने हमारे समाज को एक किया और ज्ञान को महत्व दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कॉमनवेल्थ समिट में शिरकत करने के लिए लंदन पहुंचे हैं. मोदी लंदन की जमीन से लिंगायत समुदाय का दिल जीतने की कवायद कर रहे हैं. लंदन के टेम्स नदी के पास लिंगायत समुदाय के समाज सुधारक बासवन्ना (उन्हें भगवान बसवेशेश्वर भी कहा जाता है) की मूर्ति पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. ये कार्यक्रम द बसवेशेश्वर फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जा रहा है.

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अल्बर्ट तटबंध में स्थापित बसवेशेश्वर की प्रतिमा, न केवल ब्रिटेन में एक भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा अनावरण की जाने वाली पहली प्रतिमा है, बल्कि संसद के आसपास ब्रिटिश कैबिनेट द्वारा अनुमोदित पहली वैचारिक प्रतिमा भी है. बसवेशेश्वर फाउंडेशन ब्रिटेन की अध्यक्ष नीरज पाटिल हैं.

पीएम मोदी की इस कवायद को कर्नाटक विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का 17 फीसदी वोट है. बीजेपी का मूल वोटबैंक माना जाता रहा है. लेकिन कांग्रेस ने उन्हें अपने पाले में लाने के लिए उनकी सालों पुरानी अलग धर्म की मांग को मानकर बीजेपी को बैकफुट पर कर दिया था. पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इसकी भरपाई करने की कोशिशों में लगे हैं.

समाज सुधारक बासवन्ना की जयंती के मौके पर अमित शाह कर्नाटक पहुंच रहे हैं. वे राज्य में दो दिन तक रहेंगे. शाह बंगलुरु के बासवन्ना की मूर्ति की प्रतिमा पर जाएंगे. इसके बाद शाम को लिंगायत समुदाय के एक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे. शाह लिंगायत लेखक चिदानंद की मूर्ति पर माल्यार्पण करेंगे. इसके बाद एक दलित लेखक के साथ भी मुलाकात करेंगे.

लिंगायत समुदाय का राजनीति कनेक्शन

उत्तर भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण की राजनीति में भी जाति और धर्म की बुनियाद पर सियासी तानाबाना बुना जाता है. कर्नाटक की सियासत में लिंगायत समुदाय किंग मेकर मानी जाती है. लिंगायत के दौर में कांग्रेस का मजबूत वोटबैंक रहा है,  लेकिन1989 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो राजीव गांधी ने एक विवाद के चलते तब के सीएम वीरेंद्र पाटिल को पद से हटा दिया. कांग्रेस के इस कदम से लिंगायत समुदाय में आक्रोश की भावना जगी और उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के रामकृष्णा हेगड़े का समर्थन किया.

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हेगड़े के निधन के बाद बीएस येदियुरप्पा लिंगायतों के नेता बनें. येदियुरप्पा की जरिए ही बीजेपी ने 2008 में कर्नाटक की सत्ता में आई. महज तीन साल येदियुरप्पा सीएम रहे, लकिन तीन साल के बाद बीजेपी ने उन्हें सीएम के पद से हटा दिया. बीजेपी भी कांग्रेस का दांव चला. येदियुरप्पा को हटाया तो लिंगायक समुदाय का ने बीजेपी से भी मुंह मोड़ लिया. इसी का नतीजा रहा कि बीजेपी को 2013 हार मिली. कर्नाटक की राजनीति में लिंगायत समुदाय का हमेशा से ही ख्याल रखा जाता रहा है. कांग्रेस ने लिंगायत को अपने पाले में लाने के लिए अलग धर्म का दर्जा दिया तो बीजेपी ने दोबारा से येदियुरप्पा के चेहरे को आगे किया.

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