
कर्नाटक के चुनावी दंगल में नॉर्थ कर्नाटक के बगलकोट जिले में आने वाली बदामी विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और बेल्लारी संसदीय क्षेत्र से सांसद बी श्रीरामुलू आमने-सामने हैं. हालांकि साल 2008 और 2013 के विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया ने वरुणा विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी.
बदामी सीट से उतरने से पहले श्रीरामुलू चित्रदुर्ग जिले के मोलाकलमुरू से नामांकन पत्र दाखिल कर चुके थे. ऐसे में वे दो सीटों पर चुनावी मैदान में हैं. जेडीएस ने लिंगायत समुदाय के हनमंत मविनमराद पर दांव लगाया है. इसके अलावा रवि कुलकर्णी समेत 13 उम्मीदवार मैदान में हैं.
जातीय गणित
बदामी सीट पर 70 फीसदी ग्रामीण और 30 फीसदी शहरी आबादी है. सीट पर सबसे ज़्यादा वोटर लिंगायत समुदाय के हैं. यहां 60 हजार लिंगायत, 45 हजार कुरुबा, 30 हजार वाल्मीकि, 22 हजार दलित, 15 हजार नेकार, 15 हजार मुस्लिम, 10 हजार रेड्डी और 20 हजार अन्य समाज के मतदाता हैं.
श्रीरामुलू की ताकत
बदामी सीट से सिद्धारमैया की राह आसान नहीं है. श्रीरामुलू के आखिरी समय में चुनावी मैदान में उतरने से यहां का राजनीतिक खेल बदल गया है. श्रीरामुलू को अपनी जाति पर बड़ा भरोसा है. वे वाल्मीकि समुदाय से आते हैं, जिसकी अच्छी खासी आबादी है. इसके अलावा उन्हें रेड्डी और नेकार मतों का भी भरोसा है. इसके अलावा वे लिंगायत मतों में सेंधमारी की कोशिश में लगे हैं.
सिद्धारमैया को जीत की उम्मीद
बदामी के जातीय गणित के जरिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपनी जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. वे कुरुबा गौड़ा समुदाय से आते हैं. इस सीट पर बड़ी संख्या में कुरुबा मतदाता हैं. इसके अलावा वे मुस्लिम, दलित, और अन्य के साथ लिंगायत मतों की आस लगाए हुए हैं. सिद्धारमैया की कोशिश है कि एससी वोट जेडीएस में जाने के बजाय पूरा का पूरा उन्हें मिल जाये तो उनकी नैया पार लग सकती है.
जेडीएस के उम्मीदवार हनमंत मविनमराद हैं, जो खुद वीरशैव लिंगायत हैं. इस सीट पर जेडीएस के मूल वोटबैंक वोक्कालिगा की कोई खास आबादी नहीं है. ऐसे में उन्हें लिंगायत मतों का भरोसा है, जबकि लिंगायत मतों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों अपने-अपने दांव लगा रहे हैं.
बदामी कांग्रेस की परंपरागत सीट
मौजूदा समय में बदामी विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. 1957 से लेकर अब तक 13 बार यहां विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से 8 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, वहीं 2 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. इसके अलावा तीन बार अलग-अलग पार्टियों ने जीत हासिल की है.
2013 में कांग्रेस और दो बार बीजेपी का कब्जा
बदामी सीट पर मौजूदा समय में कांग्रेस के दिग्गज नेता चिम्मनाकट्टी बलप्पा भीमप्पा विधायक हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में भीमप्पा ने जनता दल (सेक्युलर) के उम्मीदवार महांतेश गुरुपडप्पा ममदपुर को 15 हजार 113 वोटों से हराया था. इससे पहले कांग्रेस ने 1994 और 1999 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी ने इस सीट पर 2004 में पहली बार खाता खोला था. महागुंडप्पा कालप्पा 2004 और 2008 में इसी सीट से बीजेपी विधायक बने थे और उन्होंने दोनों बार कांग्रेस के भीमप्पा को मात दी थी.
बदामी को पहले वतापी नाम से जाना जाता था और इसका ऐतिहासिक महत्व है. बदामी के गुफा मंदिर और किले देशभर में प्रसिद्ध हैं. हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक यहां घूमने आते हैं. बदामी में विभिन्न युगों के चार मुख्य बलुआ पत्थर गुफा मंदिर हैं, जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं. 540 से 757 ईस्वी तक बदामी चालुक्य वंश की राजधानी रही थी.