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सिद्धारमैया जीते तो अमरिंदर की तरह छीन ले जाएंगे जीत का श्रेय!

कर्नाटक चुनाव के परिणाम आने में कुछ घंटे बचे हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों बहुमत का दावा कर रही है. इस बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि कांग्रेस सत्ता में बनी रहेगी और कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव है.

सिद्धारमैया सिद्धारमैया
अमित कुमार दुबे
  • बेंगलुरु,
  • 14 मई 2018,
  • अपडेटेड 7:05 AM IST

कर्नाटक चुनाव के परिणाम आने में कुछ घंटे बचे हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों बहुमत का दावा कर रही है. इस बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि कांग्रेस सत्ता में बनी रहेगी और कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव है.

दरअसल अगर कांग्रेस कर्नाटक में सत्ता बचाने में कामयाब रहती है तो पार्टी भले ही इसे राहुल की रणनीति से जोड़कर दिखाने की कोशिश करेगी. लेकिन पंजाब की तरह जीत तो पार्टी की होगी लेकिन श्रेय अमरिंदर की तरह सिद्धारमैया को जाएगा. जैसे कि पंजाब चुनाव में कांग्रेस की जीत को तमाम तर्कों के साथ राहुल गांधी से जोड़ने की कोशिश हुई थी. लेकिन राजनीति के तमाम जानकारों ने साफ शब्दों में कह दिया कि जीत भले ही कांग्रेस की हुई है लेकिन इसका श्रेय केवल और केवल अमरिंदर सिंह को जाता है, पंजाब के लोगों ने अमरिंदर के लिए वोट किया है.

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कर्नाटक में भले ही सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने तमाम रैलियां कीं. लेकिन कर्नाटक में एम सिद्धारमैया की दावेदारी के पीछे सार्थक तर्क हैं. कर्नाटक की जनता के सामने केवल सिद्धारमैया का चेहरा था. यही नहीं, उन मुद्दों पर चुनाव लड़ा गया जो पिछले 5 सालों में सिद्धारमैया ने कर्नाटक के लिए किया. अगर चुनाव में कांग्रेस की रणनीति देखी जाए तो उसने काफी हद तक सिद्धारमैया को फ्री हैंड दिया. लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का मुद्दा हो या कन्नड़ अस्मिता की राजनीति सिद्धारमैया ने हर दांव अपनी रणनीति के तहत चला. उन्होंने इस चुनाव को स्थानीय बनाम बाहरी बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी और वे लगातार पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर हमले करते रहे बजाय कि बीजेपी के सीएम कैंडिडेट येदियुरप्पा से उलझने के.

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यही नहीं, विपक्ष से मुकाबले के लिए भी सिद्धारमैया अकेले मैदान में डटे रहे. हर चुनाव में सिद्धारमैया के निशाने पर बीजेपी के सीएम उम्मीदवार बी एस येदियुरप्पा और पीएम मोदी थे. सिद्धारमैया अकेले दोनों से चुनावी रैलियों के साथ-साथ सोशल मीडिया में जंग लड़ते दिखे. सिद्धारमैया से मुकाबले के लिए बीजेपी को कर्नाटक में कई बार रणनीति भी बदलनी पड़ी.

ऐसे में अगर कर्नाटक की जनता ने 'हाथ' को वोट दिया है तो उनके सामने सिद्धारमैया का चेहरा है, और सिद्धारमैया भी ये अच्छी तरह से जानते हैं. अगर चुनाव के बाद पार्टी को बहुमत मिलता है तो कांग्रेस उन्हें श्रेय दे या ना दे, वो इसे छीनकर अपने हक में कर लेंगे. क्योंकि कर्नाटक की जनता उनके साथ है.

गौरतलब है कि कर्नाटक कांग्रेस में दलित सीएम के नाम पर चर्चा जोरों पर है. खुद सिद्धारमैया ने भी कहा कि अगर पार्टी किसी दलित को सीएम बनाती है तो वो कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हैं. लेकिन साथ ही सिद्धारमैया ने ये भी दांव चल दिया है कि ये उनका आखिरी चुनाव है.

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