
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान बेशक अभी नहीं हुआ है, लेकिन सियासी सूरमाओं के बीच घमासान शुरू हो गया है. 2013 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथों अपनी हार को बीजेपी भूली नहीं है. उस चुनाव नतीजे से सबक लेते हुए पार्टी ने अंदरूनी बिखराव को रोकने के लिए 2014 लोकसभा चुनाव में ही कदम उठाए थे. इसी का परिणाम था कि बी एस येदियुरप्पा और बी श्रीरामुलु की पार्टी में वापसी संभव हो सकी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जुगलबंदी के नेतृत्व में पार्टी ने देश में जितने भी विधानसभा चुनाव लड़े हैं उनमें असम और गुजरात को छोड़कर पार्टी कहीं भी मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ नहीं उतरी. ये तीसरा मौका है बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का चेहरा घोषित कर दिया है. ऐसे में कर्नाटक चुनाव में बीजेपी को जिताने की जिम्मेदारी अब पीएम मोदी, अमित शाह के साथ ही येदियुरप्पा के कंधों पर भी होगी.
बीजेपी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए खास रणऩीति बनाई है. इसके तहत कर्नाटक को 6 हिस्सों में बांटा है.
1.कोस्टल बेल्ट
इसमें चार जिले आते हैं- मंगलुरू, उड़पि, करवार और चिकमंगलुर. इस बेल्ट में 25 विधानसभा सीट आती हैं. इस क्षेत्र को बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है. इसकी वजह है कि कर्नाटक में बीजेपी और आरएसएस की हिंदुत्व की प्रयोगशाला इसी कोस्टल बेल्ट में है. केंद्र सरकार में मंत्री और कर्नाटक बीजेपी के फायरब्रैंड नेता अनंत कुमार हेगड़े करवार से ताल्लुक रखते हैं. पांच बार के सांसद हेगड़े की पहचान राज्य में हिंदुत्व के चेहरे के तौर पर भी है. बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार उन्हें इस बेल्ट की 25 सीटों में से 20 से 22 सीटें पर जीत मिलेगी. यही कारण हैं कि विवादित बयान देने के बावजूद अनंत कुमार हेगड़े पर पार्टी आलाकमान मौन साधे हुए है.
2. मुंबई कर्नाटक
इस क्षेत्र में हावेरी, धारवाड़, बेलगाम, बीजापुर, हुबली, बागलकोट और गदग, कुल 7 जिले आते हैं. यहां विधानसभा की 48 सीटें हैं. ऐसा माना जाता है कि 2004 के बाद से इस क्षेत्र में कांग्रेस विरोधी रुझान बड़ा है. कर्नाटक से बीजेपी के तीन दिग्गज इसी क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर हुबली से विधायक हैं. पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी धारवाड़ के रहने वाले हैं. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रमेश जिगजिगानी बीजापुर से ताल्लुक रखते हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र से जातिगत वोटों के हिसाब से बड़ी उम्मीदें हैं. इस क्षेत्र में लिंगायत और दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं. बीजेपी को लगता है कि 2008 की तरह लिंगायत वोटरों पर एकछत्र राज करने वाले येदियुरप्पा का जादू फिर से चलेगा. पार्टी का मान कर चल रही है कि उसे क्षेत्र की 48 सीटों में से 30 से ज्यादा पर जीत मिलेगी.
3. हैदराबाद कर्नाटक
गुलबर्गा, बीदर, रायचूर, बेल्लारी, कोप्पल और यादगीर जैसे 6 जिले इस क्षेत्र में आते हैं. इस क्षेत्र में 40 सीटें हैं. इस क्षेत्र में बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है वहीं कांग्रेस का ये मजबूत गढ़ माना जाता है. लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे
बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं हैं ये कोंग्रेस का सबसे मज़बूत गढ़ हैं लोकसभा में कोंग्रेस संसदीय दल के नेता मालिकाअर्जुन खड़गे गुलबर्गा से सांसद हैं. पिछली बार कांग्रेस को इस क्षेत्र में 40 सीटों में से 22 पर जीत मिली थी. कांग्रेस को इन 22 सीट पर अपना कब्जा बरकरार रहने की उम्मीद है. इस क्षेत्र में भी ओबीसी और लिंगायत वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह कांग्रेस को उसके गढ़ में पटखनी देने के लिए लिंगायत और ओबीसी वोटरों को ध्यान में रखकर रणनीति बना रहे हैं.
4. सेंट्रल कर्नाटक
बीजेपी की रणनीति में चौथा क्षेत्र सेंट्रल कर्नाटक का है जिसमें 3 जिले आते हैं- शिमोगा, दावणगेरे, चित्रदुर्गा। इस रीजन में बीजेपी खुद को मजबूत मानती है. इसकी वजह है कि पार्टी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे येदियुरप्पा शिमोगा से ताल्लुक रखते हैं. इस क्षेत्र में लिंगायत वोटरों का दबदबा माना जाता है.
5. मैसूर कर्नाटक
इस क्षेत्र में कुल 7 जिले- चामराज नगर, हासन, मांड्या, मैसूर, कोलार, तुमकुर और चिक्कबल्लपुर आते हैं. इन 7 जिलों में कुल 52 विधानसभा सीटें हैं. यहां सबसे ज्यादार असर वोक्कालिंगा वोटरों का है. इस क्षेत्र में राजनीतिक जानकार कांग्रेस और जेडीएस के बीच सीधा मुकाबला मानते हैं. जेडीएस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा हासन जिले से आते हैं. कांग्रेस के एच मुन्नियप्पा और डी शिव कुमार भी इसी क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं. इस क्षेत्र में वोक्कालिंगा और दलित वोटर ही हार और जीत तय करने की निर्णायक स्थिति में माने जाते हैं. कांग्रेस से बीजेपी में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री एस एम कृष्णा के सहारे बीजेपी यहां अपनी नैया पार लगाने की रणनीति बना रही है.
6. बेंगलुरू
बीजेपी की रणनीति के छठे क्षेत्र में बेंगलुरू सिटी, बेंगलुरू नॉर्थ, बेंगलुरू साउथ और बेंगलुरू सेंट्रल, चार लोकसभा सीटें आती हैं. यहां विधानसभा की कुल 28 सीटें हैं. इस क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा, आर अशोख और सुरेश कुमार आते हैं. बीजेपी को उम्मीद है कि इस क्षेत्र की 28 में से 18 पर जीत मिलेगी.
जातिगत समीकरणों का हवाला देते हुए बीजेपी से जुड़े सूत्र पार्टी का पलड़ा भारी बता जा रहा है. कर्नाटक में लिंगायत 16 प्रतिशत, वोक्कालिंगा 12 प्रतिशत और करबा 8 प्रतिशत हैं. नेताओं के हिसाब से देखें तो येदियुरप्पा लिंगायत कम्यूनिटी, देवेगौडा वोक्कालिंगा और मौजूदा सीएम सिद्धारमैया करबा जाति की राजनीति करते हैं. हालांकि अमित शाह का सारा फ़ोकस ओबीसी वोट बैंक पर हैं क्योंकि अमित शाह की चुनावी रणनीति में हमेशा ओबीसी वोटों को खासा महत्व दिया जाता रहा है.
कर्नाटक चुनाव बीजेपी के लिए खास मायने रखते हैं. दक्षिण में कर्नाटक ही अकेला राज्य है जहां बीजेपी अपने दम पर सरकार बना कर दिखा चुकी है. 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें पूरे देश में कम हुई थीं लेकिन कर्नाटक में बीजेपी ने 19 सीटों पर अपना परचम फहराया था.
कर्नाटक जीतना बीजेपी के लिए इसलिए भी ज़रुरी हैं क्यूँकि आज़ादी के बाद दक्षिण भारत में बीजेपी अपने दम पर कर्नाटक में ही सरकार बनाई हैं। सबसे दिलचस्प बात ये हैं कि 2009 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी की पूरे देश में सीटें कम हुई थी तब कर्नाटक में बीजेपी ने 19 सीटों पर परचम फहराया था.