
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की जंग में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) समेत सभी क्षेत्रीय दल एक-एक सीट पर जीत हासिल करने की जद्दोजहद में जुटे थे, लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जिन पर जीत हमेशा अप्रत्याशित रही है. इन अप्रत्याशित सीटों में सबसे पहले नाम उडुपी निर्वाचन क्षेत्र का आता है.
कर्नाटक में 12 मई को मतदान हुए हैं और नतीजे 15 मई को आएंगे. राज्य की 222 सीटों पर मतदान हुए थे. विभिन्न वजहों से दो सीटों पर चुनाव टाल दिया गया है.
कर्नाटक विधानसभा सीट संख्या-120 उडुपी निर्वाचन क्षेत्र
उडुपी निर्वाचन क्षेत्र कर्नाटक के तटीय क्षेत्र उडुपी जिले का हिस्सा है. उडुपी शहर कर्नाटक का प्रसिद्ध पर्यटन और तीर्थ स्थल है और यहां का श्रीकृष्ण मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इसे श्रीकृष्ण मठ भी कहते हैं. उडुपी को मंदिरों का शहर भी कहते हैं. यहां का द्वैत मठ भी प्रसिद्ध है. यह बेंगलुरु से करीब 422 किमी की दूरी पर है.
महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा
इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 2,03,804 मतदाता हैं जिनमें आम मतदाता, एनआरआई मतदाता और सेवा मतदाता शामिल हैं. पुरुषों की संख्या 98,759 है, तो वहीं महिलाओं की संख्या 1,05,015 है.
बेटियों के जन्म पर यहां जश्न मनाया जाता है
निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता लिंगानुपात 106.31 है और अनुमानित साक्षरता दर 90.97 फीसदी है. 2011 के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार उडुपी जिले में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1094 महिलाएं हैं, इस निर्वाचन क्षेत्र में लैंगिक अनुपात इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यहां बेटियों के जन्म पर लोगों के बीच जश्न मनाया जाता है.
सभी दलों को दिया मौका
बात करें क्षेत्रीय राजनीति की तो उडुपी विधानसभा क्षेत्र सबसे अप्रत्याशित रहा है. यहां पर जनता ने कभी भी किसी एक नेता पर दांव खेलने के बजाए सभी पार्टियों के उम्मीदवारों को मौका दिया है. कांग्रेस के प्रमोद माधवराज ने 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 39,524 वोटों (28.55 प्रतिशत) के अंतर के साथ कुल 62.75 फीसदी मत हासिल किए थे. 2013 में इस सीट में 76.56 फीसदी मतदान हुआ था.
वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के. रघुपति भट्ट ने इस सीट पर 2,479 वोट (2.1 प्रतिशत) के अंतर से जीत हासिल की थी. इससे पहले भी 2004 विधानसभा चुनाव में भट्ट ने इस सीट पर जीत हासिल कर क्षेत्र में कमल खिलाया था.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस विधायक प्रमोद माधवराज एक बार फिर से चुनाव मैदान में थे. प्रमोद उडुपी के कांग्रेस जिला प्रभारी हैं. प्रमोद की मां मनोरमा माधवराज भी कांग्रेसी नेता थीं, लेकिन 2004 में वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थीं.
सिद्धारमैया सरकार में मत्स्य पालन मंत्री प्रमोद माधवराज के हाल ही में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ संबंधों में खटास की खबरें आई थीं और उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन प्रमोद द्वारा कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ने के फैसले ने उन अटकलों पर विराम लगा दिया.
वहीं भाजपा ने दो बार विधायक रह चुके के. रघुपति भट्ट को एक बार फिर से कांग्रेस उम्मीदवार और विधायक प्रमोद माधवराज के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था. शिवल्ली ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखने वाले रघुपति भट्ट ने भाजपा सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. वह उडुपी नगरपालिका परिषद के लिए चुने गए थे और बाद में वह भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष भी रहे थे. 2004 में उन्हें पहली बार टिकट दिया गया और उन्होंने लगातार दो बार चुनाव जीतकर पार्टी में अपना कद ऊंचा किया.
इसके अलावा राज्य में अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी जनता दल (सेक्युलर) ने बिरथी गंगाधर भंडारी को चुनाव मैदान में उतारा. शिवसेना ने मधुकर मुडराडी, ऑल इंडिया वुमन एम्पावरमेंट पार्टी ने वाई.एस. विश्वनाथ, भारतीय रिपब्लिकन रक्षा ने शेखर हवानजी को अपना उम्मीदवार बनाया. यहां पर क्षेत्रीय दलों के अलावा दो निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में थे.