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Exit Poll: ओल्ड मैसूर के पास सत्ता की चाबी, यहां कांग्रेस दिख रही हावी

ओल्ड मैसूर के इस इलाके में कांग्रेस और जेडीएस के बीच ही सीधी टक्कर मानी जा रही थी. यहां पर जेडीएस की स्थिति काफी मजूबत है. बीजेपी इस क्षेत्र में कमजोर है क्योंकि यहां बीजेपी का वोटबैंक कहे जाने वाले लिंगायत समुदाय की संख्या काफी कम है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो) कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:00 AM IST

कर्नाटक में मतदान खत्म हो चुका है और अब 15 मई को आने वाले जनादेश से तय होगा कि किस पार्टी को राज्य की सत्ता मिलने वाली है. नतीजों से पहले किए गए 'आजतक' के एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बनना लगभग तय माना जा रहा है. वहीं केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी और जेडीएस काफी पिछड़ती दिखाई दे रही हैं.

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एग्जिट पोल के मुताबिक राज्य में कांग्रेस को 106-118 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं बीजेपी को 79-92 सीट और जेडीएस को 22-30 सीट मिलती दिख रही हैं. यह सर्वे राज्य की 222 सीटों पर किया गया है. अगर वोट फीसद की बात करें तो कांग्रेस को 39 फीसदी और बीजेपी को 35 फीसदी वोट मिल सकता है. जेडीएस को 17 फीसद वोट मिलते दिख रहे हैं.

क्षेत्रवार स्थिति पर गौर करें तो बॉम्बे कर्नाटक की 50 सीटों में से 18 कांग्रेस, 30 बीजेपी और एक जेडीएस के खाते में जाती दिख रही हैं. तटीय कर्नाटक की 19 सीटों में से कांग्रेस को 6, बीजेपी को 13 सीटें मिलती दिख रही हैं. साफ है कि तटीय कर्नाटक और बॉम्बे कर्नाटक में बीजेपी की स्थिति मजबूत नजर आ रही है.

हैदराबाद-कर्नाटक, सेंट्रल कर्नाटक, बेंगलुरु शहर और ओल्ड मैसूर के इलाके में कांग्रेस बढ़त हासिल करती दिख रही है. इसमें कर्नाटक के सबसे बड़े इलाके ओल्ड मैसूर की 64 सीटों में से 33 पर कांग्रेस का कब्जा होता दिख रहा है. वहीं यहां की 11 सीटें बीजेपी और 20 सीटें जेडीएस को मिलती दिख रही है. माना जाता है कि इस इलाके से होकर ही बेंगलुरु तक की सत्ता तय होती है.

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ओल्ड मैसूर के इस इलाके में कांग्रेस और जेडीएस के बीच ही सीधी टक्कर मानी जा रही थी. यहां पर जेडीएस की स्थिति काफी मजूबत है. बीजेपी इस क्षेत्र में कमजोर है, क्योंकि यहां बीजेपी का वोटबैंक कहे जाने वाले लिंगायत समुदाय की संख्या काफी कम है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी इस इलाके से बीजेपी को सिर्फ 10 सीटें ही मिल सकी थीं.

इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर वोक्कालिगा समुदाय का है और दूसरे नंबर पर दलित और कोरबा समुदाय के लोग हैं. देवगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं, यही वजह है कि उनकी पार्टी यहां काफी मजबूत है. कोरबा समुदाय से आने वाले सिद्धारमैया को भी इस इलाके में चुनावी फायदा मिलता दिख रहा है.

साल 2013 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके से कांग्रेस ने जबर्दस्त जीत हासिल की थी. यहां से कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थीं. इसके बाद जेडीएस 25 और बीजेपी 3 सीट जीत सकी थी.

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