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जानिए- कौन हैं केजी बोपैया, जो करेंगे येदियुरप्पा सरकार की किस्मत का फैसला

केजी बोपेया को शपथ दिलाते राज्यपाल वजुभाई वाला केजी बोपेया को शपथ दिलाते राज्यपाल वजुभाई वाला
भारत सिंह
  • नई दिल्ली/बेंगलुरु,
  • 18 मई 2018,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

कर्नाटक विधानसभा में बीएस येदियुरप्पा को शनिवार को बहुमत साबित करना है. सुप्रीम कोर्ट ने नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने और इसके बाद बहुमत परीक्षण करवाने की जिम्मेदारी प्रोटेम स्पीकर को दी है. इस वजह से पूरे घटनाक्रम में प्रोटेम स्पीकर का रोल सबसे अहम हो जाता है.

सबसे अहम है प्रोटेम स्पीकर का रोल

प्रोटेम स्पीकर हालांकि बहुमत परीक्षण के दौरान खुद वोटिंग नहीं कर सकता है, पर स्पीकर की तरह उसके पास भी टाई होने की स्थिति में निर्णायक वोट करने का अधिकार होता है. इसके अलावा उसका सबसे अहम रोल किसी भी वोट को क्वालिफाइ या डिसक्वालिफाइ करने में होगा.

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दो वरिष्ठों के बीच चुने गए बोपैया

विधानसभा सचिवालय की ओर से प्रोटेम स्पीकर के लिए देशपांडे और उमेश कट्टी के नाम के दो सुझाव भी दिए गए थे, लेकिन बीजेपी राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी विधायक केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर की शपद दिलाई.

कर्नाटक विधानसभा के पूर्व स्पीकर

केजी बोपैया 2009 से 2013 तक कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर भी रहे हैं. उन्हें 2009 में भी चार दिनों के लिए प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था.

संघ के करीबी रहे हैं बोपैया

बीएससी और कानून की पढ़ाई करने वाले बोपैया ने शुरुआती दिनों में वकालत भी की है. बोपैया चार बार विधायक रहे हैं. वह अपने स्कूली दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी रहे हैं. बाद में वह एबीवीपी में भी सक्रिय रहे हैं.

आपातकाल में हुए थे गिरफ्तार

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आपातकाल के दौरान वह तत्कालीन बैंगलोर में गिरफ्तार भी हुए थे. उन्होंने 1970 में कोगाडू में प्रस्तावित बांध का विरोध किया था और बाद में वह यहां के बीजेपी प्रमुख भी चुने गए. 1990 के दशक में उन्हें बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया.

अभी क्या हैं कर्नाटक के हालात

कर्नाटक विधानसभा में 222 सीटों के लिए चुनाव हुए हैं. यानी बहुमत के लिए 112 सीटों की जरूरत होगी. बीजेपी के 104 विधायक जीतकर आए हैं. जेडीएस के 37 और कांग्रेस के 78 विधायक और 3 अन्य जीत कर आए हैं. यानी बहुमत साबित करने के लिए बीजेपी को अभी भी 8 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. लेकिन जेडीएस के कुमारस्वामी दो सीटों से जीतकर विधायक बने हैं. ऐसे में उन्हें एक सीट से इस्तीफा देना पड़ेगा. तो फिर 221 सीट के लिहाज से बीजेपी को 111 सीटों की जरूरत पड़ेगी बहुमत साबित करने के लिए .

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