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मेरी दादी नजर उतारने के लिए मुझे मस्जिद ले जाती थीं: बाबुल सुप्रियो

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 12 मई को मतदान से पहले राज्य की सियासी, सामाजिक और आर्थिक आबोहवा पर मंथन के लिए बेंगलुरु में इंडिया टुडे ग्रुप का ‘कर्नाटक पंचायत’ का आयोजन किया गया

‘कर्नाटक पंचायत’ में बाबुल सुप्रीयो ‘कर्नाटक पंचायत’ में बाबुल सुप्रीयो
ऋचा मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 8:46 PM IST

देश में कल्चर को लेकर हो रही धार्मिक राजनीति से टॉपिक पर एक बातचीत में केंद्रीय राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो ने बीजेपी पर धार्मिक भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि हिंदुत्व थोपने की बात गलत है. उन्होंने कहा, "मेरे बारे में शायद ये बात नहीं जानते होंगे कि मैं पूजा-पाठ में विश्वास नहीं करता. लेकिन मुझे याद है बचपन में मेरी दादी मुझे मस्जिद ले जाया करती थीं. वो नजर उतारने के लिए ऐसा करती थीं."

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बाबुल ने कहा, "मैं यह नहीं कह सकता कि मैं कभी मंदिर नहीं गया या फिर मस्जिद नहीं गया. लेकिन अब मेरे घर में किसी तरह के धार्मिक अनुष्ठान नहीं होते." बाबुल ने बताया, "कॉलेज के दिनों में मैंने बीफ भी खाया है." बाबुल ने ये बातें बेंगलुरु (कर्नाटक) में आयोजित इंडिया टुडे के ‘कर्नाटक पंचायत’ में एक सेशन के दौरान ये बातें कहीं.

इस सेशन में बाबुल के साथ कांग्रेस की लीडर खुशबू सुंदर, बीजेपी की प्रवक्ता मालविका अवनीश और अभिनेता प्रकाश राज भी मौजूद थे. ये सत्र राजदीप सरदेसाई मॉडरेट कर रहे थे.

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नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बाबुल ने अपने गुजरात दौरे की बात भी की. उन्होंने कहा, मैं बतौर सिंगर कई बार टूर पर गुजरात गया. मेरे अंदर हमेशा ये जानने की इच्छा थी कि लोग वहां कैसे रहते हैं. जब मैंने आम जनता से बात की तो प‍ता चला कि मोदी जी ने उनके लिए खास सुव‍िधाए मुहैया कराईं हैं. वहां लोग शांति से रहते हैं.

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बाबुल ने कहा, मैं इस बात को बतौर सिंगर कह सकता हूं. मेरे पास राजनीति का बहुत बड़ा अनुभव नहीं हैं. बाबुल सुप्रीयो ने अपनी बात को क‍िशोर कुमार के गाने से खत्म किया. उन्होंने कहा कि देखो दीवानों ये काम न करो, राम का नाम बदनाम न करो.

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