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करणी सेना ने तोड़ा पद्मावती महल का कांच, पुलिस ने दर्ज किया केस

करणी सेना का आरोप है कि कमाई के लिए एएसआई और गाइड, महल में आने वाले पर्यटकों को शीशे के बारे में झूठी कहानियां बताते है. इनका कहना है कि पद्मावती के कालखंड के दौरान 11वीं सदी में कांच का अविष्कार ही नहीं हुआ था ऐसे में कांच में अलाउंद्दीन खिलजी के पद्मावती के देखने की कहानी काल्पनिक है साथ ही महल में शीशे को बाद में लगाया गया है.

प्रशासन को दिया था 15 दिन का अल्टीमेटम प्रशासन को दिया था 15 दिन का अल्टीमेटम
शरत कुमार
  • चित्तौड़गढ़,
  • 06 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 12:07 AM IST

फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के विरोध से शुरु हुई चिंगारी बुझने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ राजपूत समाज सड़कों पर आंदोलन कर रहा है तो दूसरी तरफ करणी सेना ने अपनी धमकी को अंजाम देते हुए चित्तौड़गढ़ दुर्ग के पद्मावती महल में लगा हुआ कांच तोड़ दिया है.

करणी सेना ने धमकी दी थी कि पद्ममावती महल में लगे कांच को अगर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग नहीं हटाएगा तो करणी सेना खुद महल में घुसकर इसे तोड़ देगी. रविवार दोपहर में कुछ लोगों ने पद्मावती महल में घुसकर कांच को तोड़ दिया. दरअसल काफी लंबे समय से राजपूत समाज महल में लगे इस कांच को लेकर विरोध जता रहा था. महल में आने वाले पर्यटकों को गाइड ये बताते थे कि पद्मावती महल में लगे इसी कांच में अलाउद्दीन खिलजी ने पद्मावती को देखा था .

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करणी सेना का आरोप है कि कमाई के लिए एएसआई और गाइड, महल में आने वाले पर्यटकों को शीशे के बारे में झूठी कहानियां बताते है. इनका कहना है कि पद्मावती के कालखंड के दौरान 11वीं सदी में कांच का अविष्कार ही नहीं हुआ था ऐसे में कांच में अलाउंद्दीन खिलजी के पद्मावती के देखने की कहानी काल्पनिक है साथ ही महल में शीशे को बाद में लगाया गया है.

राष्ट्रीय करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने कहा कि हमने महल से कांच हटाने के लिए सरकार, प्रशासन और एएसआई को 15 दिन का समय दिया था. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई इसीलिए करणी सेना के आंदोलित कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया. एएसआई ने पुलिस में अनाम लोगों के खिलाफ ऐतिहासिक महत्व के महल में तोड़-फोड़ करने का मुकदमा दर्ज करवाया है.

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