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काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग, जनवरी में मामले की सुनवाई

काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है, जिसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत में चल रहा है. 1991 में दायर मुकदमे में मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है.

काशी विश्वनाथ मंदिर (फाइल फोटो) काशी विश्वनाथ मंदिर (फाइल फोटो)
कुमार अभिषेक
  • वाराणसी,
  • 12 दिसंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

  • मंदिर परिसर पर कब्जा करके मस्जिद बनाने का आरोप
  • 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर होने का दावा

अयोध्या में राम मंदिर पर फैसले के बाद अब द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक को लेकर खुदाई की मांग को उठने लगी है. इसी कड़ी में ज्ञानवापी मस्जिद सहित विश्वनाथ मंदिर परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की अपील प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से अपील सिविल जज (सीनियर डिवीजन- फास्ट ट्रैक कोर्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र देकर की गई है.

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9 जनवरी को होगी मामले की सुनवाई

कोर्ट की ओर इस मामले की सुनवाई की तारीख 9 जनवरी 2020 रखी गई है. बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में ज्ञानवापी मस्जिद भी स्थित है, जिसका मुकदमा 1991 से स्थानीय अदालत मे चल रहा है. 1991 से दायर मुकदमा में मांग की गई थी कि मस्जिद ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरमम्त का अधिकार है.

कथित विवादित परिसर में विश्वेश्वरनाथ के शिवलिंग का दावा

प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने याचिका दायर करके कोर्ट से यह मांग की है. मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद और अन्य विपक्षी शामिल हैं. मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है. जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा है कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है.

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परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील

उन्होंने कहा कि देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है, मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना दी है. 15 अगस्त 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर ही था. अब वादी ने कोर्ट से भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण और परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की है. जिसपर कोर्ट ने विपक्षियों से आपत्ति भी मांगी है.

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