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कश्मीर को इंटरनेट की जरूरत क्यों है

नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने कहा कि कश्मीर में इंटरनेट पर महीनों लंबी रोक का असर केवल स्थानीय आबादी की पोर्नोग्राफी देखने की आदत पर पड़ा

इलस्ट्रेशनः तन्मय चक्रवर्ती इलस्ट्रेशनः तन्मय चक्रवर्ती
aajtak.in
  • जम्मू-कश्मीर,
  • 29 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

इंडिया टुडे

सरकार के कर्ताधर्ताओं की तरफ से हाल में जो विवेकहीन बातें कही गई हैं, उनमें वह बात भी है जो 18 जनवरी को नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने कही. उन्होंने कहा कि कश्मीर में इंटरनेट पर महीनों लंबी रोक का असर केवल स्थानीय आबादी की पोर्नोग्राफी देखने की आदत पर पड़ा है.

सारस्वत को पता होना चाहिए था कि कश्मीर में इंटरनेट के बंद होने से राज्य को कारोबारी राजस्व और सरकार को अंतरराष्ट्रीय साख का कितना नुक्सान हुआ है. इंटरनेट की सीमित बहाली केवल सरकार की 'श्वेत सूची में रखी गई' वेबसाइटों पर लागू होती है और सोशल मीडिया अब भी पहुंच से बाहर है. यह सब इसके बावजूद है कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को कहा कि इंटरनेट की सुलभता भारत के सभी नागरिकों का बुनियादी अधिकार है. हां, इनमें कश्मीरी भी शामिल हैं.

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दिन कश्मीर में इंटरनेट की सुलभता के बगैर गुजरे, जो लोकतंत्र में अब तक का सबसे लंबा शटडाउन है, वॉचडॉग एक्सेस नाऊ के मुताबिक

17,878 करोड़ रु.

की चपत लगी कश्मीर को इंटरनेट शटडाउन के चलते, कहना है कश्मीर चैंबर ऑफ कॉर्मस ऐंड इंडस्ट्री का; गणना के लिए 120 दिनों की अवधि का इस्तेमाल किया गया; 5,00,000 नौकरियों का नुक्सान होने का अनुमान है

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वेबसाइटें जिन्हें सरकार ने स्वीकृति दी है, अब देखी जा सकती हैं, पर कोई सोशल मीडिया नहीं और न्यूज चैनल भी सीमित संख्या में स्ट्रीमिंग सेवाओं के जरिए

2

जिले उत्तर कश्मीर के और जम्मू के सभी 10 जिले अब 2जी पोस्टपेड मोबाइल इंटरनेट का लाभ उठा रहे हैं; कश्मीर के 8 जिले अब भी इसके इंतजार में हैं

400

इंटरनेट किओस्क कश्मीर में लोगों को सुलभ हैं 'श्वेत सूची में रखी गई' वेबसाइटें देखने के लिए

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इंटरनेट शटडाउन भारत में 2019 में, 2020 में अब तक 3 और 2012 से कुल 381, कहना है सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलसी) का

55

इंटरनेट शटडाउन जम्मू और कश्मीर में 2019 में; 180 कुल शटडाउन 2012 और 2019 के बीच, एसएफएलसी के मुताबिक

236

शटडाउन, 381 में से, 2012 से 4 जनवरी 2020 के बीच, एसएफएलसी ने अशांति की आशंका में 'निरोधात्मक' बताए हैं और 146 को मौजूदा हालत पर काबू पाने के लिए 'प्रतिक्रियात्मक' बताया है

41

शटडाउन, 381 में से, 72 घंटों तक जारी रहे; जम्मू-कश्मीर में 165 दिनों और करगिल में 145 दिनों के शटडाउन के अलावा, सबसे लंबा 100 दिनों का शटडाउन गोरखालैंड आंदोलन के दौरान दार्जीलिंग में लगाया गया था 

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