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उमर और महबूबा PSA लगाने के 'हास्यास्पद' आधार से कश्मीर प्रशासन का इनकार

कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगाने का आधार बेहद हास्यास्पद है. प्रशासन ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि दस्तावेज के कुछ हिस्से लीक हुए हैं जो सिर्फ प्रशासन के आंतरिक उपयोग के लिए थे.

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती
कमलजीत संधू
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:07 PM IST

  • आलोचना के बाद प्रशासन ने दी सफाई
  • कहा- लीक दस्तावेज आंतरिक उपयोग के

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के खिलाफ "पब्लिक सेफ्टी एक्ट" (पीएसए) लगाने के "कारणों" की काफी आलोचना के बाद जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने इस मसले पर सफाई दी है. कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए लगाने का आधार बेहद हास्यास्पद है.

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प्रशासन ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि दस्तावेज के कुछ हिस्से लीक हुए हैं जो सिर्फ प्रशासन के आंतरिक उपयोग के लिए थे. दोनों मुख्यमंत्रियों की हिरासत से जुड़े कुछ दस्तावेज सार्वजनिक होने और मीडिया में व्यापक आलोचना होने के बाद प्रशासन ने यह प्र​तिक्रिया दी है. एक बयान में कहा गया है, "मीडिया में प्रकाशित खबरों में डिटेंशन के जो 'हास्यास्पद कारण' बताए गए हैं, वे हिरासत का आधार नहीं हैं. हम उन आरोपों से पूरी तरह इनकार करते हैं."

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एक अधिकारी ने आजतक को बताया, "लोगों ने पीएसए ग्राउंड्स ऑफ डिटेंशन" का भी जिक्र किया है, लेकिन ऐसे शब्दों का उल्लेख कहीं नहीं किया गया है. जम्मू और कश्मीर के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने ​बताया कि "पीएसए के लिए तथ्यों की जरूरत नहीं होती क्योंकि हम अदालत में चार्जशीट नहीं लगा रहे हैं. एक व्यक्ति को कहीं आने जाने से रोकने के लिए बस वास्तविक आशंका पर्याप्त है."

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हालांकि, अधिकारी का कहना है कि "ऐसे आदेश पब्लिक डोमेन में नहीं होते." इस खबर के बाहर आने से असहज अधिकारी का कहना है कि भविष्य में ऐसी असहजता से बचने के लिए लिखित में गाइडलाइन जारी की जाएगी. उमर और महबूबा पर पीएसए लगाने संबंधी डोजियर के कुछ हिस्से के सार्वजनिक हो जाने के बाद सोशल मीडिया पर यह मामला बेहद चर्चित हुआ था.

क्या है डोजियर में?

डोजियर में पुलिस ने बताया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला का कश्मीर में बड़ा प्रभाव है. ऐसे में वह सोशल मीडिया के जरिए लोगों को प्रभावित कर सकते हैं. जबकि महबूबा मुफ्ती के बारे में कहा गया है कि वह एक अलगाववादी नेता रही हैं. यही कारण है कि दोनों को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया है.

चिदंबरम ने की बर्खास्तगी की मांग

इस मसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया, "जिसने भी उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ हिरासत के आधार का ड्राफ्ट तैयार किया है, उसे तुरंत बरखास्त करके लॉ स्कूल भेजा जाना चाहिए."

महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तजा मुफ्ती समेत तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मसले को उठाया, जिसके बाद मीडिया में भी इसकी काफी चर्चा हुई. उमर अब्दुल्ला की बहन ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की है.

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जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "जब से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित कुछ राजनीतिक नेताओं को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है, कुछ मीडिया समूह गलत तरीके से हिरासत के आधार के बारे में रिपोर्टिंग कर रहे हैं, जो कहीं से भी हिरासत संबंधी आदेश से जुड़े नहीं हैं."

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