
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सरकार न बना पाने से कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. कांग्रेस ने महाराष्ट्र में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार बनाई है.
अब कांग्रेस को लगता है कि कर्नाटक में वो दोबारा सरकार बना सकती है. हुबली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने रविवार को कहा कि कर्नाटक में जेडीएस के साथ सरकार बनाने का विकल्प खुला हुआ है. आप देख सकते हैं कि महाराष्ट्र और गोवा में क्या हुआ? सब जगह हो रहा है. लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए कांग्रेस चिंतित है.
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 9 दिसंबर तक प्रतीक्षा करें, हमें समर्थन दें, हम आपको परिणाम के दिन (कर्नाटक उपचुनाव के) एक अच्छी खबर देंगे.
बता दें कि कर्नाटक में अठानी, कागवाड, गोकक, येल्लापुरा, हिरकेरूर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबेल्लापुर, के.आर. पुरा, यशवंतपुर, महालक्ष्मी लेआउट, शिवाजीनगर, होसाकोटे, के.आर.पेटे और हुनसूर में 5 दिसंबर को उपचुनाव होने वाला है. मतों की गिनती 9 दिसंबर को होगी.
कर्नाटक में 5 दिसंबर को 15 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 128 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 248 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां 248 उम्मीदवारों ने 353 नामांकन किए हैं.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दल कांग्रेस तथा जनता दल (सेकुलर) सभी 15 सीटों पर अलग-अलग लड़ रहे हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
जुलाई में तत्कालीन गठबंधन सरकार के खिलाफ कांग्रेस के 14 और जद (एस) के तीन बागी विधायकों द्वारा अपनी-अपनी सीटों से इस्तीफा देने के बाद उन्हें अयोग्य करार दिए जाने के कारण इन सीटों पर उपचुनाव कराया जा रहा है.
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने 25-28 जुलाई को हालांकि पार्टी के व्हिप की उपेक्षा करने के कारण 17 विधायकों को कथित रूप से अयोग्य करार दिया था, लेकिन मई 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाणों पर कर्नाटक हाईकोर्ट में एक मुकदमे कारण मुस्की (रायचूर जिला) और आर.आर. नगर (बेंगलुरू दक्षिण-पचिम) के विधानसभा चुनाव रद्द कर दिए गए हैं.
गठबंधन सरकार के बागी विधायकों की अनुपस्थिति में 23 जुलाई को विधानसभा में मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के विश्वास मत साबित नहीं कर पाने के कारण 14 महीनों की गठबंधन सरकार गिर गई थी, जिसके बाद गठबंधन साझेदार कांग्रेस और जद (एस) ने उपचुनाव में अलग-अलग उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.