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केजरीवाल सरकार ने दिल्ली-देहात का 90% बजट खर्च नहीं किया: कपिल मिश्रा

कपिल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि दिल्ली देहात के लिए बजट में मिले 600 करोड़ में से खर्च हुए केवल 46 करोड़, जबकि आवंटन सिर्फ 60 करोड़ का हुआ. गोपाल राय 10% पैसा भी खर्च नहीं कर पाए.

कपिल मिश्र ने गोपाल राय पर लगाए आरोप कपिल मिश्र ने गोपाल राय पर लगाए आरोप
पंकज जैन/दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 9:34 PM IST

आम आदमी पार्टी सरकार के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने मंत्री गोपाल राय पर बड़े आरोप लगाए हैं. कपिल का आरोप है कि दिल्ली देहात के विकास के नाम पर 600 करोड़ के फंड में से सरकार ने 90 फीसदी रकम का इस्तेमाल नही किया है.

बता दें कि केजरीवाल सरकार ने हाल ही में ग्राम विकास बोर्ड का गठन भी किया था ताकि शहरीकृत गांवों में भी करोड़ों के फंड का इस्तेमाल किया जा सके. कपिल मिश्रा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि दिल्ली देहात के लिए बजट में मिले 600 करोड़ में से खर्च हुए केवल 46 करोड़, जबकि आवंटन सिर्फ 60 करोड़ का हुआ. गोपाल राय 10% पैसा भी खर्च नहीं कर पाए. मंत्री गोपाल राय न सचिवालय जाते हैं और न अपनी विधानसभा बाबरपुर में जनता से मिलते हैं.

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फिलहाल आम आदमी पार्टी के नेता अपनी सरकार का बचाव कर रहे हैं. सौरभ भारद्वाज ने 'आजतक' से बातचीत करते हुए सफाई दी कि, '600 करोड़ बजट का नोटिफिकेशन ढाई महीने पहले ही हुआ है, ऐसे में इतनी जल्दी 600 करोड़ खर्च करना संभव नही है.

सरकार के बजट को खर्च करने के लिए बनने वाली फाइलों का तामझाम अफसरों के पास है. ज्यादातर अफसरों के पास फाइलों पर आपत्ति जताने के अलावा कोई काम नही है, क्योंकि उन्हें ऊपर से हिदायत दी गई है.'

ख़ुद दिल्ली सरकार की वेबसाइट के आंकड़े नेता केजरीवाल के उस भाषण की याद दिलाता है कि सरकार के पास पैसों की कमी नही होती, नीयत की कमी होती है. गांवों में विकास में लिए 600 करोड़ के बजट का प्रावधान केजरीवाल सरकार ने किया है. हैरत में डालने वाली बात ये है कि अभी तक सरकार 46 करोड़ ही खर्च कर पाई है और कुल 60 करोड़ के बजट का ही एलोकेशन हो पाया है. यानी 90 फीसदी रकम अभी तक खर्च कहां होगी उसका खाका भी सरकार के पास नही है.

आपको बता दें कि कुछ समय पहले सरकार ने रूरल डेवलपमेंट बोर्ड का नाम बदल कर ग्राम विकास बोर्ड रखा था. बोर्ड के काम मे शहरीकृत गांवों के विकास के काम को भी जोड़ा गया, क्योंकि रूरल डेवलपमेंट बोर्ड के पास शहरीकृत गांव में विकास का अधिकार नही था. बोर्ड के सदस्य सभी विधायक, सांसद, रेवेन्यू, फील्ड इरीगेशन और विकास विभाग के अधिकारी बनाये गए थे.

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बोर्ड को अधिकार है कि गांवों में चौपाल का निर्माण वे करा सकें, जो पहले मुमकिन नहीं था. सभी 300 गांवों में वालंटियर्स की विलेज डेवलपमेंट कमिटी बनाने का ज़िक्र भी हुआ था. केजरीवाल सरकार ने लंबी-चौड़ी योजना का प्रचार खूब किया, लेकिन काम कुछ नही हुआ. कुछ समय पहले भी एनवायरनमेंट सेस की करीब 800 करोड़ की रकम सरकार न के बराबर ख़र्च कर पाई थी. मामले में सरकार की बड़ी फजीहत भी हुई थी और आननफानन में इलेक्ट्रिक बसों की खरीद का बयान दिया गया था.

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