
केरल की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग तेज हो गई है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है. आइए जानते हैं कि राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए क्या हैं शर्तें और केरल की बाढ़ नियमों के मुताबिक इसके दायरे में आ सकती है या नहीं?
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के मुताबिक 'आपदा' का मतलब होता है किसी भी इलाके में प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से, या दुर्घटना या उपेक्षा की वजह से आई ऐसी कोई महाविपत्ति, अनिष्ट, तबाही आदि जिससे मानव जीवन की भारी हानि या संपत्ति को भारी नुकसान और विनाश, या पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचे और यह इतने बड़े पैमाने पर हो कि जिससे स्थानीय समुदाय के लिए निपटना संभव न हो. भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, शहरी इलाकों में बाढ़, लू आदि को 'प्राकृतिक आपदा' माना जाता है, जबकि न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल आपदाओं को 'मानव जनित आपदा' माना जाता है.
कैसे तय होती है राष्ट्रीय आपदा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, किसी भी आपदा को राष्ट्रीय आपदा मानने के बारे में कोई सरकारी या कानूनी प्रावधान नहीं है. हाल में संसद के मानसून सत्र में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था, 'स्टेट डिजास्टर रेस्पांस फंड (SDRF) या नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फंड (NDRF) के मौजूदा गाइडलाइन इसके बारे में नहीं बताते कि किस आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा' घोषित किया जाए.'
दसवें वित्त आयोग (1995-2000) के सामने विचार के लिए यह प्रस्ताव आया था कि किसी आपदा को 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' (गंभीर राष्ट्रीय आपदा) घोषित किया जा सकता है, यदि यह राज्य की एक-तिहाई जनसंख्या को प्रभावित करती हो. आयोग ने इसे स्वीकार तो किया, लेकिन यह तय नहीं किया कि 'असाधारण प्रचंडता की आपदा' किसे कहेंगे. लेकिन आयोग ने कहा कि यह केस टु केस पर निर्भर होगा यानी अलग-अलग मामलों के हिसाब से तय किया जा सकता है. उत्तराखंड में बादल फटने से आई बाढ़ और चक्रवात हुदहुद को इस तरह की आपदा घोषित किया गया था.
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने से क्या होता है
जब किसी आपदा को 'असाधारण प्रचंडता की राष्ट्रीय आपदा' (गंभीर राष्ट्रीय आपदा) घोषित कर दी जाए तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर से सहयोग मिलता है. केंद्र सरकार एनडीआरएफ की अतिरिक्त सहायता भेजती है. एक आपदा राहत कोष (CRF) का गठन किया जाता है और इसमें जमा पैसे को केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के अनुपात में साझा किया जाता है. कोष में जमा रकम अगर जरूरत से कम होती है तो केंद्र के 100 फीसदी फंडिंग वाले 'राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक फंड' (NCCF) से अतिरिक्त सहायता दी जाती है. प्रभावित लोगों से लोन वसूली में माफी या रियायती दरों पर नए लोन देने की भी व्यवस्था की जाती है.
कैसे मिलता है पैसा
किसी राष्ट्रीय आपदा के मामले में केंद्र सरकार की एक अंतर-मंत्रालयी टीम प्रभावित इलाके में जाकर इसका आकलन करती है कि नुकसान कितना हुआ और कितनी राहत की जरूरत है. केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में यह टीम सिफारिश करती है कि एनडीआरएफ/एनसीसीएफ से कितनी सहायता राशि देनी चाहिए. इस सिफारिश के आधार पर वित्त मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति केंद्रीय सहायता को मंजूर करती है. इसमें वित्त मंत्री के अलावा गृह मंत्री, कृषि मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष शामिल होते हैं.
एनडीआरएफ ने साल 2016-17 में 11,441.30 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी थी. इसमें सबसे ज्यादा 2292 करोड़ रुपये की रकम कर्नाटक को दी गई थी. साल 2017-18 में 27 दिसंबर तक एनडीआरएफ ने 2,082.45 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी है.