
केरल में निपाह वायरस धीरे-धीरे पांव पसार रहा है. अब तक 311 लोगों को निगरानी में रखा गया है, इनमें वे 86 लोग भी शामिल हैं जिनमें वायरस के संक्रमण का शक जताया जा रहा है. राज्य में एक 23 वर्षीय युवक के निपाह की चपेट में आने की पुष्टि हुई है जिसके बाद से संक्रमण फैलने की वजह से अन्य के भी इस बीमारी से संक्रमित होने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि अब राज्य सरकार से सामने निपाह से निपटने के अलावा इस वायरस को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों से निपटने की भी चुनौती है.
सबसे पहले त्रिशूर में एक 23 वर्षीय छात्र इस वायरस की चपेट में आया था जिसके बाद मरीजों के संपर्क में आने से इस संक्रमण के फैलने का खतरा बना हुआ है. राज्य में अब तक 4 मरीजों में बुखार और तेज दर्द की शिकायत आई है जिनमें इलाज करने वाली 3 नर्स और युवक का क्लासमेट शामिल है. इन सभी को फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में रखा जा रहा है जहां इनकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
कैसे फैला वायरस
निपाह से संक्रमित छात्र एर्नाकुलम जिले का रहने वाला है और इडुक्की जिले में स्थित थोडुपुज़ा के कॉलेज में पढ़ता है. वह हाल में शिविर के संबंध में त्रिशूर में था. त्रिशूर की जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ रीना के मुताबिक, छात्र सिर्फ चार दिन ही त्रिशूर में था और उसे बुखार आ रहा था. उन्होंने बताया कि उसके साथ 16 अन्य छात्र थे और उनमें से छह उससे सीधे संपर्क में थे. उन्हें भी निगरानी में रखा गया है.
इस बीच बीमारी से संबंधित गलत जानकारियां केरल सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं. मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने मंगलवार को एक फेसबुक पोस्ट में चेतावनी दी थी कि गलत जानकारियां फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उन्होंने लोगों से अपील की थी कि वे स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों का पालन करें.
अफवाह से बचने की सलाह
मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया, "हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. विशेषज्ञों की एक टीम कोच्चि पहुंच गई है. उनके बताए उपायों को भी निपाह के प्रकोप की रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों में शामिल किया जाएगा. हम 2018 में मिलजुल कर निपाह से निपटे थे.' साथ ही उन्होंने कहा कि निपाह की पुष्टि होने पर घबराने की जरूरत नहीं है.
पिछले साल मई में निपाह वायरस के फैलने से 12 लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा कोझिकोड और मलप्पुरम जिलों से 22 पॉजिटिव मामले सामने आने से दहशत फैल गई थी. पिछली बार भी वायरस फैलने के बाद विशेषज्ञों ने भी सोशल मीडिया पर फर्जी खबरें फैलाए जाने के प्रति चेताया था. एक फर्जी खबर में दावा किया गया था कि एक होमियोपैथी गोली इस प्राण घातक वायरस से लोगों को बचा सकता है. इतना ही नहीं, पिछले साल फर्जी खबर वाला एक वीडियो भी बनाया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि यह वायरस चिकन से फैलता है.
कैसे करें बचाव
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, निपाह संक्रमण के लिए आधिकारिक तौर पर कोई दवा या टीका नहीं है. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि स्वस्थ रहने के साधारण तरीके, जैसे बार-बार हाथ धोने और खाद्य पदार्थ को खाने से पहले अच्छी तरह पकाए जाने से दिमाग को क्षति पहुंचाने वाले इस वायरस के प्रकोप से बचा जा सकता है.
क्या है निपाह वायरस
बता दें कि निपाह एक तरह का दिमागी बुखार है, जिसका संक्रमण तेजी से फैलता है. संक्रमण होने के 48 घंटे के भीतर यह व्यक्ति को कोमा में पहुंचा सकता है. इसकी चपेट में जो भी शख्स आता है उसे सांस लेने में दिक्कत के साथ सिर में भयानक दर्द और तेज बुखार होता है. कहा जाता है कि इस वायरस की पहचान 1998 में सबसे पहले मलेशिया में हुई थी. उस वक्त इस बीमारी की चपेट में 250 से अधिक लोग आए थे. 40 फीसदी से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.